बिहार, भारत। बिहार के पटना में इस महीने होने वाले नगर निकाय चुनाव से पहले पटना हाईकोर्ट की ओर से आज मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया गया है।
नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक :
दरअसल, पटना हाईकोर्ट द्वारा आज आरक्षण के खिलाफ वाली याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस. कुमार की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए बिहार के नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी है। इस दौरान कोर्ट की ओर से यह कहा गया है कि, ''ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में अधिसूचित कर चुनाव कराए जाएंगे।'' साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से यह कहा गया है कि, ''वह मतदान की तारीख आगे बढ़ाना चाहे, तो बढ़ा सकता है।''
पटना हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि, ''प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती।" साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि, 'राज्य निर्वाचन आयोग ने नियमों का पालन नहीं किया है।'
कोर्ट के इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया निर्वाचन आयोग को पूरी करनी होगी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा- जब तक बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेती तब तक अति पिछडों के लिए आरक्षित सीट सामान्य माने जाएंगे। अति पिछ़ड़ों को आरक्षण देने से पहले हर हाल में ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। राज्य निर्वाचन आयोग या तो अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य करार देकर चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाये या फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट करा कर नये सिरे से आरक्षण का प्रावधान बनाए।
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने 86 पृष्ठों का निर्णय देते हुए कहा कि, "चुनाव आयोग को एक स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करना चाहिए न की बिहार सरकार के हुक्म से बंधकर।"
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