राज एक्सप्रेस। हमारे देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने कड़ा संघर्ष किया है। ऐसे ही भारत माता के वीर सपूत थे लाला लाजपतराय, जिनका अंग्रेजों की लाठियां खाते हुए निधन हो गया था। आगे चलकर चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी की मौत का बदला लेने का निश्चय किया और 17 दिसंबर 1928 को ब्रिटिश पुलिस के अफसर सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी। आज उस घटना को 95 साल पूरे हो चुके हैं। तो चलिए जानते हैं लालाजी की मौत और उनकी मौत के बदले की पूरी कहानी।
साइमन कमीशन का विरोध :
दरअसल 8 नवम्बर 1927 को ब्रिटिश हुकूमत ने भारत में राजनीतिक और संवैधानिक सुधारों के लिए साइमन कमीशन का गठन किया। इस कमीशन में अंग्रेजों ने एक भी भारतीय को जगह नहीं दी। ऐसे में भारतीय इसके विरोध में खड़े हो गए। 3 फरवरी को कमीशन भारत आया और वह भारत में जहां-जहां गया, उसका विरोध हुआ।
लाठीचार्ज में हुआ लालाजी का निधन :
30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा। वहां लाला लाजपतराय के नेतृत्व में बहुत सारे क्रांतिकारी साइमन कमीशन का विरोध कर रहे थे। इसी दौरान पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट ने क्रांतिकारियों पर लाठीचार्ज का आदेश दे दिया। इस लाठीचार्ज में लाला लाजपतराय बुरी तरह से घायल हो गए और 17 नवंबर 1928 को उनका निधन हो गया।
बदले की रणनीति :
लालाजी की मौत से क्रांतिकारियों में बहुत गुस्सा था। वह उनकी मौत का बदला लेना चाहते थे। ऐसे में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव सहित अन्य क्रांतिकारियों ने तय किया कि वह लालाजी के निधन के ठीक एक महीने बाद यानी 17 दिसंबर को जेम्स स्कॉट की हत्या कर देंगे।
स्कॉट की जगह मारे गए सांडर्स :
अपनी योजना के अनुसार 17 दिसंबर को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव स्कॉट के दफ्तर के बाहर पहुंच गए। इसी दौरान सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स दफ्तर से बाहर निकला। उसे देख राजगुरु को लगा कि वह स्कॉट है और उन्होंने सॉन्डर्स पर गोली चला दी। इसके बाद भगत सिंह ने भी आगे बढ़कर स्कॉट के सीने पर दनादन कई राउंड फायर किए। इस घटना के अगले दिन लाहौर में पोस्टर लगे थे, जिस पर लिखा था, ‘लालाजी की हत्या का बदला पूरा हुआ।’
तीनों क्रांतिकारियों को हुई फांसी की सजा :
सांडर्स की हत्या से ब्रिटिश हुकूमत बुरी तरह से बोखला गई थी। अंग्रेजों ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव पर सांडर्स की हत्या और देशद्रोह का केस चलाया। इस मामले में ही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दी गई।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।