Odisha Train Accident : ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे ने देशवासियों को अंदर तक झंकझोर कर रख दिया है। इस भीषण हादसे में 288 लोगों के मारे जाने की खबरें सामने आई हैं। जबकि 1175 लोग घायल हुए हैं जिनमें से 793 को इलाज के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए। इनमें से कुछ डिब्बे दूसरी पटरी पर जा पहुंचे और उसी वक्त बेंगलुरु से आ रही ट्रेन इनसे जा टकराई। इस कारण यह भीषण हादसा हुआ। हालांकि अब भी लोगों के मन में इस ट्रेन एक्सीडेंट को लेकर कई सवाल हैं। तो चलिए जानते हैं कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ?
2 जून यानि शुक्रवार को शालीमार-मद्रास कोरोमंडल एक्सप्रेस अपने तय रास्ते पर बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ रही थी। इस दौरान ट्रेन को बाहानगा स्टेशन पर रुकने की बजाय सीधे आगे जाना था। लेकिन ट्रेन मेन लाइन पर ना जाते हुए लूप लाइन पर चली गई। इस लाइन पर एक मालगाड़ी पहले से खड़ी थी और कोरोमंडल एक्सप्रेस सीधे जाकर इस मालगाड़ी से टकरा गई। ट्रेन की रफ्तार इतनी अधिक थी कि हादसे के दौरान इसके 12 डिब्बे पटरी से उतर गए और कुछ डिब्बे दूसरी लाइन पर भी चले गए। उसी वक्त दूसरी पटरी पर यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस चल रही थी। ट्रेन का लगभग आधे से भी ज्यादा हिस्सा हादसे वाली जगह को पार कर चुका था, लेकिन तभी उससे कोरोमंडल ट्रेन के डिब्बे आ टकराए। जिस कारण हावड़ा ट्रेन के भी 3 डिब्बे पटरी से उतर गए।
मामले में एक जानकार का कहना है कि यह एक बड़ी मानवीय गलती है। आमतौर पर जब किसी लाइन पर कोई ट्रेन या मालगाड़ी खड़ी होती है तो पॉइंट रिवर्स कर दिया जाता है ताकि कोई और ट्रेन उस पटरी पर ना आए। इसके अलावा तकनीकी खराबी के समय सिग्नल को रेड कर दिया जाता है। ताकि अन्य ट्रेन रुक जाए। वहीं दूसरी वजह के रूप में ट्रेन की स्पीड को अधिक बताया जा रहा है। बता दें कि 15 दिन पहले ही इस रूट पर ट्रेनों की स्पीड को अधिकतम 130 किमी प्रति घंटा कर दिया गया था। हादसे के वक्त कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किमी प्रति घंटा जबकि हावड़ा 125 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चल रही थी।
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