सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले में संज्ञान लेते कहा कि यह एक सामाजिक हिंसा का मामला है और यह मामला पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट सीजेआई चंद्रचूड़ ने मणिपुर हिंसा पर एसआईटी की जाँच के लिए किया इंकार करते हुए, राज्य और केंद्र सरकार दोनों को फटकार लगाई।
हाइलाइट्स:
मणिपुर हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट में
सीजेआई चंद्रचूड़ ने पुलिस सहित राज्य और केंद्र सरकार को लगाई फटकार
कई राज्यों में ऐसे मामले निरंतर बढ़ते जा रहे है
एसआईटी की जाँच के लिए किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस पर उठाए सवाल
दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई चंद्रचूड़ के समक्ष सोमवार को मणिपुर में सामाजिक हिंसा के दौरान दो महिलाओं को लग्न कर उनका जुलुस निकालने की घटना को लेकर सुनवाई हुई थी। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए, राज्य, केंद्र सरकार और मणिपुर पुलिस को फटकारा और कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं है जिस पर सुनवाई की जाए। राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल सहित कई ऐसे राज्य है जहाँ ऐसी घटनाए होती रहती है। मणिपुर में महिलाओं के हुई हैवानियत अभूतपूर्व है। ऐसे मामलो पर एसआईटी का गठन उचित नहीं।
'इस बात का हवाला देकर पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं कि देश के बाकी राज्यों में भी महिलाओं के खिलाफ अपराध हो रहे हैं। हम पश्चिम बंगाल या किसी दूसरे सूबे में हुई वारदात को इससे नहीं जोड़ सकते।'
'हमारे हाथ से समय निकल रहा है। राज्य को मरहम लगाने वाले कदम उठाने की जरूरत है।'
'ऐसे कई मामले हैं, जो मीडिया में हैं, पब्लिक को भी पता है, लेकिन सरकार को इसकी जानकारी कैसे नहीं है।'
'पुलिस ने उन्हें भीड़ को सौंपा था, यह काफी भयावह है. यह निर्भया जैसी स्थिति नहीं है, जिसमें एक बलात्कार हुआ था, वो भी काफी भयावह था।'
'क्या आप (वकील बांसुरी स्वराज) यह कह रही हैं कि भारत की सभी बेटियों के लिए कुछ करें या किसी के लिए कुछ भी न करें?'
'हमें एक ऐसा मेकैनिज्म बनाने की जरूरत है, जिससे महिलाओं के खिलाफ होने वाली घटनाओं को व्यापक स्तर पर जांचा जा सके।'
'मैं नहीं मान सकता कि पुलिस को घटना की जानकारी नहीं हुई।'
'अगर ऐसा एक हजार मामले हैं तो क्या सीबीआई सभी की जांच करेगी? सिर्फ सीबीआई की जांच या एसआईटी से काम नहीं चलेगा।'
यह मामला सामने आ रहा है कि महिलाओं को निर्वस्त्र करके सड़क पर घूमने के मामला 4 मई का बताया जा रहा है और इतना ही नहीं यह मामला 18 मई को सामने आया और मामले की वीडियो वायरल होने के बाद 19 जुलाई को पोल्स ने केस दर्ज किया। मामले में यह मोड़ देखते ही विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह पर प्रश्नो का अम्बार लगा दिया और जमकर घेरा।
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