बाल विवाह के खिलाफ ज्योत्सना ने छेड़ी मुहिम Raj Express
उत्तर पूर्व भारत

बाल विवाह के खिलाफ ज्योत्सना ने छेड़ी मुहिम, अब तक 6 विवाह रोके जानिए पूरी कहानी

PM National Childrens Award 2024 : 15 साल की साहसी लड़की की कहानी जिसने अपने ही परिजनों के खिलाफ लड़ी खुद की आजादी की लड़ाई।

Author : Deeksha Nandini

हाइलाइट्स

  • अपने ही घर वालों के साथ ज्योत्सना ने लड़ी अपनी आजादी की लड़ाई।

  • घर वालों ने टेंके ज्योत्सना के सामने घुटने।

  • अब राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित।

PM National Childrens Award 2024 : अगरतला। हमारे देश तो डिजिटल हो गया लेकिन यहाँ के लोग अभी भी पुरानी और अपनी रूठीवादी सोच ही लेकर जी रहे है। इसका जीता जागता उदाहरण दक्षिण त्रिपुरा का है। जहाँ एक दसवीं कक्षा की लड़की की शादी उसके परिजनों द्वारा जबरदस्ती कराई जा रही थी और जब लड़की ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो उसका घर से बाहर आना जाना- दोस्तों से मिलना जुलना सब बंद कर दिया था। लेकिन 15 साल की लड़की ज्योत्सना ने हार नहीं मानी और अपने साहस का परिचय देते हुए अपनी आजादी की लड़ाई लड़ी। अपने बाल विवाह के साथ-साथ ज्योत्सना ने 7 और बाल विवाह के खिलाफ अपनी मुहिम छेड़ी और अंतत: उसे सफलता मिली। अपने साथ-साथ ज्योत्सना ने अपने जैसे 6 और लड़कियों को बाल विबाह का शिकार होने से बचाया। आइये अब जानते है 15 साल की साहसी लड़की की कहानी जिसने अपने ही परिजनों के खिलाफ लड़ी खुद की आजादी की लड़ाई।

दरअसल, दक्षिण त्रिपुरा की ज्योत्सना एक 10 वीं कक्षा की अल्पसंख्यक समुदाय की छात्रा है। ज्योत्सना ने अपनी 10 वीं कक्षा अच्छे परिणामों के साथ पास की इसके बाद ज्योत्सना ने हाई स्कूल में पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की। इस पर घर वालों ने उसे मना कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने उसकी शादी के लिए लड़का देखना भी शुरू कर दिया। बार-बार घर पर रिश्ते आने से ज्योत्सना काफी परेशान हो गई थी। इसके बाद उसने अपने ही घर वालों के खिलाफ बगावत करने की ठान ली।

परिवार और रिश्तेदारों के बीच बस मेरी शादी ही एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया - ज्योत्सना

माता-पिता के उसकी शादी के लिए रिश्ते देखने पर शुरुआत में, उसने ज्योत्सना ने माता-पिता को समझाने की कोशिश की लेकिन असफल रही। ज्योत्सना ने कहा, ''परिवार और रिश्तेदारों के बीच बस मेरी शादी ही एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया। कुछ बिंदु पर, उन सभी ने मेरी इच्छा के विरुद्ध जाकर, उस लड़के के साथ मेरी शादी करने का फैसला किया जिसे उन्होंने तब चुना था जब मैं केवल 15 वर्ष की थी। मुझे घर में ही कैद रखा गया और मेरे दोस्तों से बातचीत और स्कूल जाना बंद कर दिया गया।

परिवार का डटकर किया सामना :

एक दिन कोई अन्य विकल्प न मिलने पर ज्योत्सना ने अपने एक शिक्षक को बुलाया और मामले को समझाया। शिक्षकों ने बच्चियों की स्थिति की जानकारी दी और स्थानीय प्रशासन की मदद से उसे घर से बचाया। बाद में, शिक्षकों और अधिकारियों ने माता-पिता के साथ कई परामर्श सत्र आयोजित किए और उन्हें अपने निर्णय से पीछे हटने के लिए मजबूर किया लेकिन ज्योत्सना को अपने साहसिक कदम के लिए परिवार में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद, ज्योत्सना अपने गांव में ऐसे पांच बाल विवाह प्रयासों के खिलाफ खड़ी रही और उन्हें रोकने के लिए प्रशासन को संगठित किया।

राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित :

ज्योत्सना ने एक साल के दौरान स्वयं सहित गाँव के विभिन्न परिवारों में बाल विवाह के 6 प्रयासों के खिलाफ लडऩे के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए चुना गया है। ज्योत्सना अख्तर 22 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से पुरस्कार प्राप्त करेंगी।

स्कूल के प्रिंसिपल सुब्रत चक्रवर्ती ने कहा, इस छात्रा ने बाल विवाह को रोककर समाज के प्रति एक उत्कृष्ट योगदान दिया। एक अल्पसंख्यक परिवार से आने वाली ज्योत्सना बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में एक प्रेरणा और आशा का प्रतीक बनकर उभरी हैं।'' इसके अलावा, ज्योत्सना दक्षिण त्रिपुरा जिला मजिस्ट्रेट द्वारा गठित बालिका मंच के लिए एक फ्रंटलाइन कार्यकर्ता की भूमिका निभा रही है। उसे 26 जनवरी को नयी दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।

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