बालासोर ट्रेन घटना की दर्दनाक कहानियां Syed Dabeer Hussain - RE
उत्तर पूर्व भारत

किसी को लाशों के ढेर में मिला अपना जीवित बेटा तो किसी को अब तक है आस, जानिए ट्रेन घटना की दर्दनाक कहानियां

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे से पीड़ित लोगों की अलग-अलग कहानियां सुनने को मिल रही हैं। चलिए आपको बताते हैं इनमें से कुछ कहानियां।

Vishwabandhu Pandey

Odisha Train Accident : ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस घटना में 275 लोगों की मौत के साथ ही करीब 1000 से भी अधिक लोगों के घायल होने की ख़बरें सामने आई हैं। राहत की बात यह है कि घायलों में अधिकतर अपना इलाज पूरा होने के बाद हॉस्पिटल से घर भी लौट चुके हैं। गौरतलब है कि बीते 2 जून को सबसे पहले हावड़ा एक्सप्रेस की टक्कर पटरी पर पहले से मौजूद एक मालगाड़ी से हुई। जिसके बाद ट्रेन के कुछ डिब्बे पटरी से उतरकर पास की पटरी से गुजर रही कोरोमंडल ट्रेन से हो गई। इस हादसे के बाद से ही ट्रेन में मौजूद लोगों की अलग-अलग कहानियां सामने आ रही हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में।

लाशों के ढेर में मिला बेटा

एक व्यक्ति ने बताया कि उनका बेटा घटना के वक्त उसी ट्रेन में था। जैसे ही उन्हें इस घटना की जानकारी मिली तो वे करीब 230 किमी की यात्रा कर घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने वहां अपने बेटे को ढूँढने की काफी कोशिश की, लेकिन जब वह नहीं मिला तो उन्होंने उसे अस्थायी मुर्दाघर में ढूंढना शुरू किया। आखिर में उन्हें अपना बेटा लाशों के ढेर में जीवित पड़ा हुआ मिली। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को इस ढेर से निकाला और उसे हॉस्पिटल लेकर गए।

भाइयों को सलामत देख रो पड़े परिजन

साहिबगंज के अंतर्गत आने वाले बड़तल्ला बसंतपुर गांव में रहने वाले दो भाइयों की कहानी भी बहुत दर्दनाक है। वे दोनों काम के सिलसिले में केवल जा रहे थे। इस दौरान जैसे ही ट्रेन में हादसा हुआ और सभी यात्री एकदूसरे पर गिरने लगे। देखते ही देखते आँखों के सामने मौत का मंजर छ गया। वे दोनों भी इस धमाके में बेहोश हो गए, और जब आंख खुली तो चारों तरफ बस खून ही खून था। दोनों भाई भी बिछड़ गए लेकिन फिर बाद में जब दोनों इलाज कराते हुए मिले तो उनकी जान में जान आई। आखिरकार दोनों भाई जब घर पहुंचे तो उन्हें सलामत देख घरवालों की आँखों में भी आंसू आ गए।

अब भी गुम हैं परिजन

इस घटना में एक 12 साल के बच्चे के दादा ने बताया कि घटना की जानकारी लगते ही वे अपने बेटे और पोतों को ढूँढने में लग गए। उन्हें काफी भटकने के बाद भी सिर्फ एक पोते की बॉडी ही मिल पाई। जबकि अब तक एक बेटे और पोते की कोई खबर भी नहीं लग पाई है।

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