राज एक्सप्रेस। पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जा रही है। आज शाम को 07.09 मिनट पर यात्रा का समापन हो जाएगा। करीब 9 दिनों तक अपनी अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर में विश्राम करने के बाद भगवान जगन्नाथ वापस अपने मंदिर लौट जाएंगे। इस विश्व प्रसिद्द रथ यात्रा में शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। पुरी पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए मंदिर की रसोई में भोजन बनाया जा रहा है। इस रसोई को दुनिया की सबसे बड़ी रसोई भी कहा जाता है। तो चलिए आज इस मौके पर हम भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई की खासियतों के बारे में जानेंगे।
भगवान जगन्नाथ मंदिर की यह खास रसोई करीब 8000 स्क्वायर फीट में फैली है। यहां पर मिट्टी और ईंट से 240 चूल्हे बनाए गए हैं। इन्हीं चूल्हों पर भगवान जगन्नाथ के लिए 56 भोग और श्रद्धालुओं के लिए भोजन बनाया जाता है। इस रसोई में 500 रसोइए और 300 सहयोगी काम करते हैं।
मंदिर की इस रसोई में आम दिनों में 20 से 30 हजार लोगों के लिए भोजन बनाया जाता है। वहीं खास मौकों पर एक दिन में लाखों लोगों के लिए भी यहां भोजन तैयार किया जाता है। यहां बनाया गया भोजन शुद्ध और हेल्दी होता है। भगवान का प्रसाद मंदिर के पास बने हुए 2 कुओं गंगा और जमुना के पानी से तैयार किया जाता है।
भगवान जगन्नाथ की इस रसोई में मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाया जाता है। हर चूल्हे पर एक के ऊपर एक 9 बर्तन रखकर खाना बनाया जाता है। खास बात यह है कि जो बर्तन सबसे ऊपर रखा होता है, उसमे खाना सबसे पहले पकता है। वहीं जो बर्तन सबसे नीचे होता है, उसमें सबसे बाद में खाना पकता है। खाना बनने के बाद इन मिट्टी के बर्तनों को तोड़ दिया जाता है। अगले दिन नए बर्तनों में खाना पकाया जाता है।
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