हाइलाइट्स :
राहुल गांधी की भारत जाेड़ा न्याय यात्रा ने मेघालय के पहाम्सियेम गांव शुरू
गृह मंत्री ने मेघालय सरकार को देश में सबसे भ्रष्ट कहा था, फिर भी उसी सरकार के साथ साझेदारी की: राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा, मणिपुर में हिंसा ख़त्म करने में PM को कोई दिलचस्पी नहीं है
मेघालय, भारत। असम के बाद अब आज सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जाेड़ा न्याय यात्रा ने मेघालय के पहाम्सियेम गांव फिर से शुरू हुई। इस यात्रा का नवां दिन है। इस दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मेघालय के री भोई में अपने संबोधन में कहा कि, ''मेघालय का शासन यहां से नहीं, बल्कि दिल्ली से होता है।''
देश पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी का सामना कर रहा है :
दरअसल, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "मेघालय का शासन यहां से नहीं, बल्कि दिल्ली से होता है। यह स्वीकार्य नहीं है। देश पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी का सामना कर रहा है। गृह मंत्री ने मेघालय सरकार को देश में सबसे भ्रष्ट कहा था। इसके बाद उन्होंने उसी सरकार के साथ साझेदारी की।"
राहुल गांधी ने कहा, ''हमने भारत जोड़ो न्याय यात्रा मणिपुर से क्यों शुरू की? कारण यह है कि आरएसएस और भाजपा की विचारधारा ने मणिपुर के विचार को नष्ट कर दिया है। नफरत और हिंसा की राजनीति ने राज्य को टुकड़ों में बांट दिया है, जिससे सैकड़ों लोगों की मौत हुई है और हजारों लोगों को अपनी संपत्ति गंवानी पड़ी है। यह पूरी त्रासदी है! इसलिए हम शेष भारत को यह संदेश देना चाहते थे कि मणिपुर के लोग कितना दर्द महसूस कर रहे हैं।''
यह मेरे लिए आश्चर्य की बात है कि भारत के प्रधान मंत्री ने अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है। क्या मणिपुर एक भारतीय राज्य नहीं है? क्या मणिपुर के लोग भारत का हिस्सा नहीं हैं? अगर पीएम मणिपुर में हिंसा रोकना चाहते हैं तो तीन दिन में ऐसा कर सकते हैं. सच तो यह है कि उन्हें मणिपुर में हिंसा ख़त्म करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी
उन्होंने कहा कि, ''पिछले साल हमने कन्याकुमारी से कश्मीर तक 'भारत जोड़ो यात्रा' की थी। भाजपा और आरएसएस हमारे देश की नींव पर हमला कर रहे थे। यह विचार कि भारत में सभी धर्मों को सौहार्दपूर्वक रहना चाहिए और सभी समुदायों, भाषाओं और परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए, पर हमला किया गया। भारत के विचार की रक्षा के लिए हम समुद्र से लेकर कश्मीर के पहाड़ों तक चले। हमने किसानों, मजदूरों और युवाओं की आवाज सुनी। यात्रा के बाद कई लोग चाहते थे कि हम उत्तर-पूर्व, ओडिशा, बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार में रहने वाले लोगों की आवाज़ सुनें। इसलिए हमने मणिपुर से महाराष्ट्र तक एक और यात्रा शुरू करने का फैसला किया।''
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