भारतीय मानव संसाधन को पूरी तरह से उपयोग करने की आवश्यकता:धनखड़ Social Media
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भारतीय मानव संसाधन का पूरी तरह से उपयोग करने की आवश्यकता : जगदीप धनखड़

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उद्योग जगत से देश के भीतरी क्षेत्रों में इलाकों में जाने का आह्वान करते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत को मानव संसाधन क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने की आवश्यकता है।

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नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उद्योग जगत से देश के भीतरी क्षेत्रों में इलाकों में जाने का आह्वान करते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत को मानव संसाधन क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने की आवश्यकता है। श्री धनखड़ ने यहां उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के 117वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में स्टार्टअप क्षेत्र को व्यापक स्तर पर सफलता मिली है और 75 हजार से अधिक के स्टार्टअप काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारतीय व्यापार परिदृश्य में अब कई गेम चेंजर स्टार्टअप हैं।”

श्री धनखड़ ने कहा कि व्यापार और उद्योग निकायों को “उद्यमी संस्कृति” के साथ भीतरी क्षेत्रों में जाना चाहिए और मानव संसाधन का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था में एक युगांतरकारी परिवर्तन देख रहा है। पर्याप्त कौशल विकास से भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरी तरह से उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “जब हम सभी की पूरी क्षमता और प्रतिभा को सामने लाते हैं तो सामाजिक हितों की सबसे अच्छी सेवा होती है।” उप राष्ट्रपति ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत एक तरह से हमारे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक सदी पहले स्वदेशी आंदोलन का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए भारत की खोज आत्मकेंद्रित होने के बारे में नहीं है बल्कि यह विश्व समावेशी है। कोविड महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों को चिकित्सा उपकरणों और सामग्री की आपूर्ति सिर्फ एक उदाहरण है।

श्री धनखड़ ने कहा कि यह सरकार के साथ-साथ उद्योग का भी दायित्व है कि वह मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करे और विशेष रूप से युवा जनसांख्यिकी का उपयोग करे। उन्होंने कहा कि 'न्यू इंडिया' का मंत्र - ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ केवल सरकार तक ही सीमित नहीं है और इसके लिए व्यापक प्रयासों का आह्वान किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत हाल ही में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

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