राष्ट्रीय प्रसारण दिवस Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

राष्ट्रीय प्रसारण दिवस : जानिए कब हुई थी रेडियो प्रसारण की शुरुआत? क्या है इसका महत्व?

टेक्नोलॉजी के बढ़ते हुए समाज में भले ही हमारे पास मनोरंजन और संचार के कई साधन मौजूद हैं। लेकिन आज भी रेडियो की जगह कोई नहीं ले पाया है।

Vishwabandhu Pandey

हाइलाइट्स :

  • साल 1935 तक इसे भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से ही जाना जाता था।

  • साल 1936 में इसे ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया।

  • ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलते हुए इसे आकाशवाणी कर दिया गया।

राज एक्सप्रेस। आज के दिन यानि 23 जुलाई को भारत में नेशनल ब्राडकास्टिंग डे यानि राष्ट्रीय प्रसारण दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन का प्रमुख उद्देश्य लोगों को रेडियो के उपयोग के प्रति जागरूक करना और समाज में रेडियो का महत्व समझाना है। गौरतलब है कि आज टेक्नोलॉजी के बढ़ते हुए समाज में भले ही हमारे पास मनोरंजन और संचार के कई साधन मौजूद हैं। लेकिन आज भी रेडियो की जगह कोई नहीं ले पाया है। आज भी भारत देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रेडियो सुनता और अपने खास प्रोग्राम के प्रसारित होने का इंतजार करता है। ऐसे में यह दिन सभी भारतवासियों के लिए बेहद खास है। तो चलिए जानते हैं कि आज ही के दिन राष्ट्रीय प्रसारण दिवस क्यों मनाया जाता है।

आज ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय प्रसारण दिवस?

दरअसल 23 जुलाई 1927 में भारतीय प्रसारण कंपनी के द्वारा मुंबई रेडियो की शुरुआत की गई थी। यही वह दिन था जब पहली बार भारत के कानों में रेडियो की मधुर ध्वनी पहुंची थी। इस प्रसारण को मुंबई और कोलकाता ने प्राइवेट ओनर्स वाले 2 ट्रांसमीटर की सहायता से अंजाम दिया गया था। यही वजह है कि राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के लिए आज का दिन चयनित किया गया। हालाँकि साल 1935 तक इसे भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से ही जाना जाता था। लेकिन साल 1936 में इसके नाम में कुछ बदलावों के साथ इसे ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया।

फिर हुआ एक अहम बदलाव

आज देश के लगभग हर राज्य और जिले में रेडियो का प्रसारण किया जाता है। रेडियो के माध्यम से श्रोताओं तक ना केवल ममनोरंजक सामग्री बल्कि महत्वपूर्ण खबरें भी बड़ी ही आसानी से पहुँचती हैं। आज जहाँ नए-नए साधनों के आने के बाद से रेडियो का इस्तेमाल भले ही कम हो गया हो। लेकिन एक समय था जब लोग हर जानकारी के लिए पूरी तरह से रेडियो पर ही निर्भर थे और अपना सारा काम छोड़कर रेडियो के पास बैठते थे। साल 1957 में रेडियो के लिए लोगों का इतना प्यार देखते हुए एक बार फिर ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलते हुए इसे आकाशवाणी कर दिया गया। जो आज तक वैसा ही बना हुआ है।

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