राज एक्सप्रेस। वर्ष 2019 में कुछ माह पहले यानी सितंबर में भारत का महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन 'चंद्रयान-2' का चांद की सतह से सिर्फ 2.1 किलोमीटर की दूरी से इसरो का संपर्क टूटने के बाद से इस पर उम्मीद कायम थी और अब आज अर्थात 3 दिसंबर को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर (Chandrayaan-2 Vikram Lander) की खबर सुर्खियों में आ गई हैै, इस मामले का अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने खुद बड़ा खुलासा किया है कि, चांद की सतह पर विक्रम लैंडर का मलबा मिला है, इस दौरान NASA ने इसकी तस्वीर भी दिखाई हैं।
NASA ने ट्वीट कर दी यह जानकारी :
जी हां! अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने रात में करीब 1:30 बजे ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी है कि, उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ लिया है।
ऑर्बिटर को मिला विक्रम लैंडर :
स्पेस मिशन 'चंद्रयान-2' के विक्रम लैंडर का मलबा उसके क्रैश साइट से 750 मीटर की दूरी पर मिला, मलबे के 3 सबसे बड़े टुकड़े 2x2 पिक्सेल के हैं, हालांकि, NASA ने इस ट्वीट के साथ विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की फोटों भी जारी की है, जिसमें अंतरिक्ष यान से प्रभावित जगह दिखाई पड़ी है, उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े मिले हैं।
इसके साथ ही नासा द्वारा एक बयान जारी कर यह भी बताया गया है कि, ''तस्वीर में नीले और हरे डॉट्स के माध्यम से विक्रम लैंडर के मलबे वाला क्षेत्र दिखाया गया है।''
इस इंजीनियर ने ढूंढा विक्रम लैंडर :
वहीं, नासा ने 'चंद्रयान-2' के विक्रम लैंडर की खोज का श्रेय चेन्नई के 33 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यम (शान) को दिया है, क्योंकि यहीं वह व्यक्ति है, जिसने विक्रम लैंडर के मलबे का पता किया है, इसी दौरान शान ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
मैंने विक्रम लैंडर का संभावित मार्ग खोजने में कड़ी मेहनत की, मैं बहुत खुश हूं, बहुत मेहनत करनी पड़ी। मुझे हमेशा से अंतरिक्ष विज्ञान का शौक रहा है, मैंने कभी भी कोई लॉन्च नहीं छोड़ा।इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यम
बताते चलें कि, 'चंद्रयान-2' 7 सितंबर तड़के लगभग 1.38 बजे जब 1,680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से विक्रम चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ना शुरू किया, तब सबकुछ ठीक था, लेकिन कुछ समय बाद ISRO के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि, विक्रम अपने निर्धारित पथ से पृथ्वी की दूरी से 30 किलोमीटर पहले अपने पाथ से थोड़ा हट गया और उसके बाद 2.1 किलोमीटर की दूरी पर संपर्क टूट गया था।
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