कोलकाता HC ने TMC के चारों नेताओं को हाउस अरेस्ट का दिया आदेश Social Media
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कोलकाता HC ने TMC के चारों नेताओं को हाउस अरेस्ट का दिया आदेश

पश्चिम बंगाल के कोलकाता हाई कोर्ट में आज नारद स्टिंग मामले की सुनवाई हुई, इस दौरान हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन TMC के चारों नेता अभी हाउस अरेस्ट पर रहेंगे।

Author : Priyanka Sahu

पश्चिम बंगाल, भारत। पश्चिम बंगाल में नारदा स्टिंग केस की जांच कर रही CBI ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार के 4 तत्कालीन मंत्रियों को गिरफ़्तार करने के बाद ये मामला काफी सुर्खियों में आया और अब इस मामले यानी नारद स्टिंग केस की आज कोलकाता हाई कोर्ट में आज शुक्रवार को सुनवाई हुुुुई, जिसमें यह आदेश दिए गए हैं।

TMC के नेताओं को दी अंतरिम जमानत :

नारद स्टिंग केस की सुनवाई में कोलकाता हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए TMC के चारों नेताओं 'बंगाल कैबिनेट के दो मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी तथा दो पूर्व मंत्री मदन मित्रा और सोवन चटर्जी' को अंतरिम जमानत दे दी है, साथ ही कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा- नारदा स्टिंग केस में बंगाल कैबिनेट के दो मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी तथा दो पूर्व मंत्री मदन मित्रा और सोवन चटर्जी को फिलहाल नजरबंद (हाउस अरेस्ट) रखा जाएगा। चारों की बेल याचिका पर कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच फैसला देगी।

बता दें, कलकत्ता हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने नेताओं को नजरबंद रखे जाने का आदेश दिया। तो वहीं, जस्टिस अरिजीत बनर्जी ने चारों को जमानत दिए जाने का आदेश दिया।

पीठ के एक सदस्य को लगा कि बेल दे दी जानी चाहिए लेकिन दूसरा इसपर सहमत नहीं था। इसलिए जमानत को लेकर बड़ी बेंच फैसला करेगी। इस बीच, महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेताओं को नजरबंद रखे जाने के लिए मंजूरी दी जाती है।
जस्टिस अरिजीत बनर्जी

अब कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा नारदा स्टिंग केस में बंगाल कैबिनेट के मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी तथा पूर्व मंत्री मदन मित्रा और सोवन चटर्जी को फिलहाल हाउस अरेस्ट रखे जाने के आदेश का भी विरोध हो रहा है, सीबीआई और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस दोनों ने ही इसका विरोध किया। एक तरफ CBI की ओर से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अपने आदेश पर स्टे लगाने को कहा। तो दूसरी ओर टीएमसी नेताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि नजरबंद रखा जाना भी गिरफ्तारी से कम नहीं है, उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए।

क्या है नारद केस :

गौरतलब है कि, वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले नारद स्टिंग टेप का मामला सामने आने से सियासी गलियारों में हलचल मच गई थी और यह दावा किया गया था कि, ''2014 में टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्तियों को एक काल्पनिक कंपनी के नुमाइंदों से कैश लेते दिखाया गया था।'' स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारद न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था, यह मामला कलकत्ता हाई कोर्ट तक पहुंचा। , वर्ष 2017 में मार्च के माह में कोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश दिया, इसके बाद सीबीआई और ईडी ने इस मामले की जांच में जुटी हुुुई थी।

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