उत्तराखंड, भारत। देश में पिछले दिनों कोरोना के मामले बहुत ही तेजी से बढ़ रहे थे, जिसको ध्यान में रखते हुए कई राज्यों ने नाईट कर्फ्यू, लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू लागू कर दिया था। ऐसे में कई राज्यों के लिए रेलवे सेवा भी रद्द कर दी गई थी। इन्हीं हालातों को ध्यान में रखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा को भी रद्द कर दिया गया था, लेकिन अब नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा चारधाम यात्रा पर लगाई इस रोक को हटा कर यात्रा बहाल कर दी है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने दी चारधाम यात्रा को अनुमति :
दरअसल, पिछले महीनों के दौरान corona के चलते देश में बने हालातों को मद्देनजर रखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा को भी रद्द कर दी थी। हालांकि, देश में कोरोना के मामले अब भी सामने आरहे हैं, लेकिन देश में हो रहे आर्थिक नुकसान के चलते देश को पूरी तरह से अनलॉक कर दिया गया है। इसी के चलते अब चारधाम यात्रा को भी अनुमति देदी गई है। हालांकि, इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना होगा। ऐसा माना जा रहा है कि, चारधाम की यात्रा के लिए SOP शुक्रवार को जारी की जा सकती है। इस मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि,
'एक दिन में केदारनाथ धाम में 800, बदरीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं को ही जाने की अनुमति होगी। श्रद्धालु कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे। श्रद्धालुओं को RTPCR निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी। जिनको कोविड टीके की दोनों डोज लग चुकी हैं, उनको वेक्सीनेशन सर्फिफिकेट साथ लाना होगा। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में चारधाम यात्रा के दौरान पर्याप्त पुलिस फोर्स तैनात करनी होगी।'नैनीताल हाईकोर्ट
खंडपीठ में की गई सुनवाई :
बताते चलें, चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाने के लिए राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में की गई। इस मामले में महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और अन्य ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि, 'कोरोनावायरस अब काफी नियंत्रण में है और देश के सभी धार्मिक स्थल खुले हुए हैं। यात्रा न होने से स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी प्रभाव पड़ रहा है।' बता दें, उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का हवाला देते हुए एसओपी के तहत चार धाम यात्रा की अनुमति देने की मांग की।
हाईकोर्ट के निर्देश :
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि, 'चारों धामों में मेडिकल की पूर्ण सुविधा हो। मेडिकल स्टाफ, नर्सें, डॉक्टर, ऑक्सीजन बेड और वेंटिलेटर की पर्याप्त व्यवस्था हो। यात्रा के दौरान सरकार मेडिकल हेल्पलाइन जारी करे जिससे कि अस्वस्थ लोगों को स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं का आसानी से पता चल सके। श्रद्धालुओं की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट और वेक्सीनेशन का सर्टिफिकेट की जांच के लिए चारों धामों में चेक पोस्ट बनाए जाए। बदरीनाथ में पांच, केदारनाथ में तीन चेक पोस्ट बनाने जाए। भविष्य में अगर कोविड के केस बढ़ते हैं तो सरकार यात्रा को स्थगित कर सकती है। एंटी स्पीटिंग एक्ट को चारों धामों में प्रभावी रूप से लागू किया जाए। तीनों जिलों के विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए हैं कि वे यात्रा की निगरानी करें और उसकी रिपोर्ट हर सप्ताह कोर्ट में दें।'
जिला अधिकारियों के लिए कोर्ट के निर्देश :
कोर्ट द्वारा जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि, 'वे यात्रा को सफल बनाने के लिए स्थानीय लोगों और एनजीओ की सहायता ले सकते हैं लेकिन एनजीओ सही व जिम्मेदार होनी चाहिए। चारधाम यात्रा में जगह-जगह पर सुलभ शौचालय बनाए जाएं, जिससे श्रद्धालुओं को असुविधा न हो।'
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