राजस्थान, भारत। भारत स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में अपने एक और कदम को बढ़ाते हुए आज 9 सितंबर को मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) सिस्टम भारतीय वायुसेना (IAF) में शामिल किया गया, यह कार्यक्रम राजस्थान के जैसलमेर में हुआ, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया और 2204 स्क्वाड्रन कमांडिंग ऑफिसर विंग कमांडर अंकित आबट को MRSAM वायु रक्षा प्रणाली की प्रतीकात्मक चाबी सौंपी।
वायुसेना के साथ रक्षा क्षेत्र के लिए बड़ा खास दिन :
MRSAM सिस्टम के भारतीय वायुसेना में शामिल होने के कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- आज मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) सिस्टम की पहली फायरिंग यूनिट का हैंडओवर, हमारी वायुसेना को किया जा रहा है। मैं समझता हूँ यह हमारी वायुसेना के साथ-साथ, पूरे रक्षा क्षेत्र के लिए बड़ा खास दिन है। यह missile system आज दुनिया भर में उपलब्ध अब तक के state-of-the-art Missile systems में से एक है। रक्षा क्षेत्र में हो रहा यह development, वास्तव में भारत और इजरायल की घनिष्ठ साझेदारी में नई उंचाई का प्रतीक है।
आज से पहले भी, इन दोनों देशों के बीच गहरे संबंध रहे हैं। वह चाहे रक्षा के क्षेत्र में SPICE bombs और BARACK मिसाइल का सहयोग हो या फिर कोविड के खिलाफ़ लड़ाई में, veccine के लिए दोनों देशों की कंपनियों का joint venture हो, भारत और इजरायल के बीच एक अहम साझेदारी हमेशा कायम रही है। मुझे बताया गया, कि यह प्रणाली खराब मौसम में भी 70 किलोमीटर की रेंज तक, कई लक्ष्यों को एक साथ भेदने में सक्षम है। अनेक कड़े परीक्षणों में इसकी सफलता, इसकी विश्वसनीयता का प्रमाण है।
यह मिसाइल सिस्टम, हमारी Air-defence-system में एक गेम चेंजर साबित होगा, ऐसा मेरा विश्वास है। एयरफोर्स ने इस मिसाइल का induction, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों का भी एक बड़ा उदाहरण है।
आज global scenario काफ़ी तेजी, और अप्रत्याशित तरीके से बदल रहा है। इसमें, देशों के आपसी समीकरण भी अपने हितों के अनुसार तेजी से बदल रहे हैं। चाहे south china sea हो, IOR हो या indo-pacific हो या फिर central asia हो, हर जगह अनिश्चितता की स्थिति देखी जा सकती है।
बदलते Geo-politics का प्रभाव ट्रेड, इकोनॉमी, पावर पॉलिटिक्स और उसी एवज़ में security scenario पर भी देखा जा सकता है। ऐसी स्थिति में, हमारी सुरक्षा की मजबूती और आत्मनिर्भरता एक उपलब्धि न होकर एक जरूरत बन जाती है।
आज जब हमारी air force में, हम state of the Art missile system induct करने जा रहे हैं, तब मैं एक visionary को जरूर याद करना चाहूंगा, जिसने रक्षा क्षेत्र में, खासकर मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम में आत्मनिर्भरता की राह प्रशस्त की थी।
आज से लगभग 30 साल पहले, श्री A.P.J. अब्दुल कलाम ने देश में Integrated missile development programme की शुरुआत की थी। इसकी कल्पना ऐसे समय में की गई थी, जब हमारे वैज्ञानिकों को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तमाम तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा था।
बावजूद इन सबके, इस प्रोग्राम की सफलता ने न केवल मिसाइल डिफेंस में हमारी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि सीमा पार से आने वाले किसी भी प्रकार के खतरे को, समय से पहले ही नष्ट कर दिया जाएगा।
आज हमारा उद्देश्य ‘मेक इन इंडिया’ से आगे, स्वदेशी रिसर्च, डिजाइन और डेवलपमेंट के माध्यम से, अपने technological base को मजबूत करना, बल्कि उससे भी आगे ‘Make for the world’ है।
इस प्रोजेक्ट ने भारत और इजराइल, दोनों देशों के defence industrial base को मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। यह दोनों देशों के लिए एक win-win situation है। साथ ही मुझे बताया गया, कि इस दौरान देश में कई नई test facilities और infrastructure का निर्माण हुआ है।
इस प्रोग्राम के माध्यम से देश में पहली बार मिसाइल और रेडार सिस्टम की manufacturing off-set policy के माध्यम से की जा रही है। इस policy के माध्यम से Indian industries ने, अपने infrastructure और technical skills में बढ़ोतरी की है।
बदलते समय के साथ हमारी defence modernization हमारी प्राथमिकता है, हम लगातार उस ओर आगे बढ़ रहे हैं। आपको ज्ञात होगा कि, कई ऐसे नीतिगत फैसले हाल के कुछ वर्षों में लिए गए हैं, जो हमें long term में हमें न केवल modernization, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर भी ले जाते हैं।
मैं समझता हूँ, कि सशक्त सेनाओं से केवल देश की सीमाई सुरक्षा ही मज़बूत नहीं होती है, बल्कि देश का over-all growth भी सुनिश्चित होता है। इस प्रकार, आज हम इस programme के handing over के अवसर पर, देश की सुरक्षा और समग्र विकास के अपने संकल्प को दोहराते हैं।
मुझे विश्वास है, कि हमारा defence sector आने वाले समय में न केवल सशक्त और आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि पूरी दुनिया के लिए रक्षा प्रणालियों का manufacturing hub बनेगा। इसका रास्ता, इसी तरह के programme से होकर जाता है।
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