भारत में खुदरा महंगाई दर में लगातार इजाफा हो रहा है।
गेहूं की बढ़ती कीमत के चलते कई घरों की रसोई का बजट बिगड़ गया है।
भारत सरकार गेहूं और आटे की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए रूस से गेहूं खरीदने पर विचार कर रही है।
सरकार आने वाले आम चुनाव से पहले देश में महंगाई पर लगाम लगा सकती है।
राज एक्सप्रेस। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को अब डेढ़ साल का समय हो चुका है। इस युद्ध के चलते जहां एक तरफ अमेरिका और यूरोप ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत ने इस आपदा में अवसर देखते हुए रूस से सस्ता तेल खरीदना शुरू कर दिया। इस दौरान भारत ने दुनिया के तमाम दबाव को दरकिनार कर दिया। हालांकि भारत को इस फैसले का बहुत फायदा भी मिल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार रूस से सस्ता तेल खरीदने के चलते भारतीय रिफाइन कंपनियों ने मई 2023 तक 7 अरब डॉलर से अधिक की बचत की है। खबर है कि तेल के बाद अब भारत रूस से एक और महत्वपूर्ण चीज खरीदने जा रहा है और वह भी बहुत कम कीमत पर।
भारत में खुदरा महंगाई दर में लगातार इजाफा हो रहा है। खासकर गेहूं की बढ़ती कीमत के चलते कई घरों की रसोई का बजट बिगड़ गया है। ऐसे में भारत सरकार गेहूं और आटे की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए रूस से गेहूं खरीदने पर विचार कर रही है। इसके जरिए सरकार आने वाले आम चुनाव से पहले देश में महंगाई पर लगाम लगा सकती है।
दरअसल सरकार द्वारा रूस से गेहूं खरीदने की मंशा के पीछे गेहूं का कम होता स्टॉक है। ऐसे में भारत को अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए 3 से 4 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं खरीदने की जरूरत है। वहीं माना जा रहा है कि भारत सरकार जरूरत से भी दोगुना यानी 8 से 9 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं रूस से खरीद सकती है।
एक न्यूज़ एजेंसी के अनुसार सरकार प्राइवेट और सरकारी दोनों माध्यम से गेहूं खरीदने पर विचार कर रही है। माना जा रहा है कि यदि भारत रूस से गेहूं खरीदता है तो उसे रूस की तरफ से अच्छी-खासी छूट मिल सकती है। इससे भारत को घरेलू बाजार से भी कम कीमत पर गेहूं मिल सकता है।
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