राज एक्सप्रेस। भारत का महत्वाकांक्षी मिशन 'चंद्रयान-2' का चांद की सतह से सिर्फ 2.1 किलोमीटर की दूरी से इसरो का संपर्क टूट गया और लैंडर का मिशन नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूटते ही इसरो के अध्यक्ष डॉ. के शिवन सहित अन्य वैज्ञानिकों के चेहरे मुरझा गए, लेकिन अभी कुछ कहां नहीं जा सकता कुछ भी हो सकता है, अभी दु:खी होकर हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि ये मिशन फेल नहीं हुआ है, सिर्फ संपर्क ही टूटा है, इस पर अभी भी हौसला और उम्मीद कायम है, जानिए लैंडिंग विक्रम से संपर्क टूटने के बाद अब आगे क्या होगा?
उम्मीद अभी भी कायम :
ISRO के वैज्ञानिकों का मानना है कि, अभी भी हम लैंडर से संपर्क कर सकते हैं, उनके पास दूसरे तमाम साधन भी हैं, वहां मौजूद दूसरे सैटेलाइट जो घूम रहे हैं, उनके द्वारा वहां नजर रखी जा सकती है और उसके जरिए ये भी पता लगाया जा सकता हैं कि, मिशन चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम अपने स्थान पर क्यों नहीं उतरा और क्यों नहीं लैंड कर सका, क्या जब वो वहां लैंडिग कर रहा था, तब वहां पर धूल बहुत ज्यादा थी, जिससे उपकरण खराब हो गए या फिर ज्यादा ठंड होने के कारण, इसमें प्रॉब्लम आई, सवाल बहुत हैं, लेकिन जब तक इस पर कोई सही जानकारी नहीं मिल जाती, तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता।
लैंडिंग विक्रम के दौरान क्या-क्या हुआ :
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा बताया गया कि, मिशन 'चंद्रयान-2' के लैंडर विक्रम के चंद्रमा पर उतरने का क्रम पूर्वनिर्धारित योजना के अनुसार चल ही रहा था तथा चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी तक उसका प्रदर्शन सामान्य था, लेकिन इसके बाद धरती पर स्थित केन्द्र से लैंडर का संपर्क टूट गया। उन्होंने बताया कि, संपर्क टूटने से पहले तक ‘विक्रम’ से मिले आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।
कैसे रह गए चांद से 2.1 किलोमीटर दूर :
7 सितंबर तड़के लगभग 1.38 बजे जब ऊंचाई से 1,680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से विक्रम चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ना शुरू किया, तब सबकुछ ठीक था और लैंडर बड़े ही आराम से नीचे उतर रहा था, लेकिन कुछ समय बाद ISRO के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि, विक्रम अपने निर्धारित पथ से पृथ्वी की दूरी से 30 किलोमीटर पहले अपने पथ से थोड़ा हट गया और उसके बाद 2.1 किलोमीटर की दूरी पर संपर्क टूट गया।
चंद्रयान-2 में हैं 3 खंड :
पहला खंड- ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड)
दूसरा खंड- विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड)
तीसरा खंड- प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पेलोड)
कितनी लागत से बना ये मिशन और कितना हुआ नुकसान :
अंतरिक्ष यान 'चंद्रयान-2' के मिशन की लागत की अगर हम बात करें, तो इसे 978 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। जानकारी के मुताबिक, भारत का महत्वाकांक्षी 'चंद्रयान-2' मिशन का सिर्फ 5% लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर को नुकसान हुआ है और बाकी 95% चंद्रयान-2 ऑर्बिटर अभी भी चाँद पर सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है।
बताते चलें कि, भारत का स्पेस मिशन 'चंद्रयान-2' अब तक अपने सफर को लगभग पूरा कर ही चुका था और यह मिशन सपनों के पंख लगाकर हर रोज अपने अभियान की दिशा में सफलतापूर्वक आगे बढ़ता चला जा रहा था और 7 सितंबर को भारत में इतिहास रचने ही वाला था, लेकिन संपर्क टूटने से इतिहास रचने से रह गया। बीते माह 2 सितंबर को ही चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से अलग हुआ था।
ISRO मुख्यालय में PM मोदी ने बढ़ाया वैज्ञानिकों का हौसला :
'चंद्रयान-2' के चंद्रमा की सतह पर उतरने की प्रक्रिया को देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी ISRO मुख्यालय पहुंचे थे। संपर्क टूटने के बाद मोदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए वहां मौजूद वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि, देखिए जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और जब मैंने देखा कि, जब कम्युनिकेशन स्टाप हो गया था, तो आप सभी के चेहरे एक दम से उदास हो गए, लेकिन ये कोई छोटा अचीवमेंट नहीं है, जो आप लोगों ने किया, देश आप पर गर्व करता है और आपकी इस मेहनत ने बहुत कुछ सिखाया भी है। जैसा कि, सब वैज्ञानिकों ने मुझे बताया कि, अगर फिर से संपर्क हुआ तो बहुत सारी चीजें हमें देता रहेगा, "Hope for the best"
वैज्ञानिको को दी बधाइयां:
इसके अलावा PM नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाइयां देते हुए कहा- ''आप लोगों ने देश के लिए बहुत सेवा की है, विज्ञान और मानव जात की भी, इस पड़ाव से हमने बहुत कुछ सिखा है आगे भी हमारी कोशिश जारी रहेगी, देश एक बार फिर से खुशियां मनाने लगेगा।" उन्होंने ISRO के वैज्ञानिकों को आश्वासन जताया कि, मैं आप लोगों के साथ हूंं, आप सभी आगे भी हिम्मत के साथ चलें।
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