माइक्रोप्लास्टिक मुक्त Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

देशभर में 'माइक्रोप्लास्टिक मुक्त' अभियान चलाने की घोषणा

माइक्रोप्लास्टिक या माइक्रोबीड्‌स प्लास्टिक के बहुत छोटे रेशे होते हैं माइक्रोप्लास्टिक 5 मिलीमीटर से छोटे प्लास्टिक के टुकड़े हैं, जो हमारे लिए हानिकारक हो सकते हैं।

Author : Priyanka Yadav

राज एक्सप्रेस। आज के समय में प्लास्टिक हमारी प्रकृति की हर वस्तु के साथ मिल चुका है हम जिन वस्तुओं का उपयोग करते हैं उन सभी वस्तुओं में माइक्रोप्लास्टिक पूरी तरह से समाया हुआ है। हमारी प्रकृति और पर्यावरण में कुछ ऐसे भी प्लास्टिक हैं, जो हमारे चारों-ओर फैले हुए हैं जो नजर नहीं आते और ये प्लास्टिक हमारे शरीर में प्रवेश करने का रास्ता ढूंढ़ रहें हैं। इस तरह के प्लास्टिक को कहते हैं 'माइक्रोप्लास्टिक'।

क्या है 'माइक्रोप्लास्टिक'

माइक्रोप्लास्टिक या माइक्रोबीड्‌स प्लास्टिक के बहुत छोटे रेशे होते हैं। माइक्रोप्लास्टिक 5 मिलीमीटर से छोटे प्लास्टिक के टुकड़े हैं, जो हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। इनका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन सामग्री (साबुन, फेसवॉश, टूथपेस्ट, हैंडवाश) में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इनमें सरलतापूर्वक फैलने की क्षमता होती है और यह उत्पाद को रेशमी बुनावट और रंग प्रदान करते हैं। माइक्रोप्लास्टिक किसी भी चीज में न तो घुलता है और न ही खत्म होता है। इसको कॉस्मेटिक्स में रगड़ने घिसने के लिये उपयोग किया जाता है। माइक्रोप्लास्टिक प्रमुख उभरते प्रदूषक में से एक है।

माइक्रोप्लास्टिक मुक्त

भू-जल में कैसे पहुँचता है 'माइक्रोप्लास्टिक '

वातावरण में मौजूद प्लास्टिक टूटकर माइक्रोप्लास्टिक में परिवर्तित हो जाता है और यहाँ से यह माइक्रोप्लास्टिक विभिन्न समुद्री जीवो की आंतो में जमा होकर महासागरीय वातावरण में पहुंच जाता है इसके बाद यह महासागरीय जल चट्टानों की दीवारों से बहते हुए भू-जल में मिल जाते हैं। माइक्रोप्लास्टिक का इस्तेमाल जलीय जीवन और पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। प्लास्टिक मानव जीवन में विभिन्न रूप में हमारी जिन्दगी का हिस्सा बन चुका है।

माइक्रोप्लास्टिक के अनियमित उत्पादन और बाजार में उपलब्ध विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों में इनके अनियमित इस्तेमाल और लोगों के द्वारा इसके भारी प्रयोग के कारण विश्वभर में जल प्रदूषण हो रहा है। हमारे समुद्रों में ऐसे करोड़ों, अरबों, खरबों प्लास्टिक के टुकड़े हैं जो, हमारे समुद्रों के पानी में तैर रहें हैं जिन्हें मछलियां और बाकि के जीव अपना आहार बना रहें हैं और फिर बाद में हम उन समुद्री जीवों को अपना भोजन बना लेते हैं, जिसकी वजह से प्लास्टिक हमारे शरीर में आ जाता है।

माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव

  • वातावरण में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाता है तथा खाद्य श्रृंखला को भी प्रभावित करता है।

  • मानव शरीर में पहुंचकर यह लिवर , किडनी और आंतों को भी प्रभावित करता है तथा ब्रेस्ट कैंसर के लिए भी जिम्मेदार है।

  • महासागरीय जल में घुलकर यह समुद्री जीवों के जीवन के लिए खतरा पैदा करता है और यही समुद्री जीव बाद में हमारी फ़ूड चैन का हिस्सा बनकर स्वास्थ को प्रभावित करते है।

माइक्रोप्लास्टिक्स के फैलने पर अंकुश कैसे लगा सकते है-

  • प्लास्टिक बैग का प्रयोग न करें

  • प्लास्टिक के पानी की बोतल खरीदने से बचें, दोबारा इस्तेमाल होने वाली बोतल लें

  • प्लास्टिक के स्थान की जगह कांच की बोतल खरीदें

  • टायर की धूल कम करने के लिए सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें

  • अपने सिंथेटिक कपड़े कम ही धोएं

माइक्रोप्लास्टिक पर प्रतिबंध

माइक्रोप्लास्टिक पर बैन लगाने के मामले में आयलैंड दुनिया का पहला यूरोपियन यूनियन देश होने वाला है। अब तक अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा न्यूजीलैंड जैसे देशो ने माइक्रोप्लास्टिक के उपयोग पर बैन लगा दिया है। सन 2017 में भारतीय मानवीय ब्यूरो ने भारत में माइक्रोप्लास्टिक पर प्रतिबंध करने की घोषणा की थी हांलाकि ये 2020 में लागू होगा।

भारत में भी बैन करने की घोषणा :

वर्ष 2019 को 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर केवल एक बार प्रयोग में आने वाली प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने का आह्वान किया था। भारत ने सन 2018 में देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया था इसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर 2019 से भारत में एकल उपयोग प्लास्टिक को खत्म करने की आवश्यकता का उल्लेख किया है। भारतीय रेलवे देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने की दिशा में पहले ही बड़े पैमाने पर अभियान शुरू कर चुका है।

लागू करने की बातें-

  • देश को सिंगल यूज उपयोग वाली प्‍लास्टिक सामग्री पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।

  • सभी रेलवे वेंडरों को प्‍लास्टिक के बैग का उपयोग करने से बचना होगा।

  • कर्मचारियों को प्‍लास्टिक उत्‍पादों का उपयोग कम करना चाहिए, प्‍लास्टिक उत्‍पादों की रिसाइक्लिंग कर इसका फिर से इस्‍तेमाल करना चाहिए।

  • इसके साथ ही फिर से उपयोग में लाए जा सकने वाले सस्‍ते बैगों का उपयोग करना चाहिए, ताकि प्‍लास्टिक के स्‍टॉक में कमी आ सके।

  • IRCTC विस्‍तारित उत्‍पादक जिम्‍मेदारी के हिस्‍से के रूप में प्‍लास्टिक की पेयजल वाली बोतलों को लौटाने की व्‍यवस्‍था लागू करेगा।

  • प्‍लास्टिक की बोतलों को पूरी तरह तोड़ देने वाली मशीनें जल्‍द से जल्‍द उपलब्‍ध कराई जाएंगी।

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