भारत के लिए महत्वपूर्ण है 10 मई का दिन Syed Dabeer Hussain - RE
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भारत के लिए महत्वपूर्ण है 10 मई का दिन, इसी दिन मेरठ में भड़की थी आजादी की पहली चिंगारी

सैन्य विद्रोह के रूप में हुई इस लड़ाई ने एक समय के बाद जनव्यापी विद्रोह के रूप ले लिया। देश में लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ सडकों पर उतर आए।

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। भारत के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। दरअसल आज ही वह दिन है जब देश में पहली बार आजादी की लड़ाई शुरू हुई थी। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) से शुरू हुई आजादी की यह चिंगारी धीरे-धीरे देश के अन्य शहरों में भी फैल गई। एक सैन्य विद्रोह (Mutiny) के रूप में हुई इस लड़ाई ने एक समय के बाद जनव्यापी विद्रोह के रूप ले लिया। देश में लोग ब्रिटिश शासन (British Rule) के खिलाफ सडकों पर उतर आए। इसे ही भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Fight) भी कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर 10 मई 1857 को ऐसा क्या हुआ था, जिससे पूरे देश में आजादी की लहर चल पड़ी।

मंगल पांडे की फांसी

दरअसल उस समय भारतीय सैनिकों को गाय और सूअर की चर्बी से बने कारतूस इस्तेमाल करने के लिए दिए जाते थे। इस कारतूसों की खास बात यह थी कि इन्हें बंदूक में लगाने से पहले दांतों से काटना पड़ता था। ऐसे में भारतीय सैनिक मंगल पांडेय (Mangal Pandey) ने ऐसा करने से इंकार कर दिया और इसके विरोध में दो अंग्रेजों की हत्या कर दी। इसके बाद अंग्रेजों ने मंगल पांडे को पकड़कर फांसी की सजा दे दी।

10 मई 1857

मंगल पांडे की फांसी के चलते भारतीय सैनिकों में पहले ही गुस्सा था। इस बीच 10 मई 1857 को भारतीय सैनिक रोजाना की तरह जब शिव मंदिर पहुंचे तो वहां के पुजारी ने उन्हें पानी पिलाने से इंकार कर दिया। पुजारी ने कहा कि जो सैनिक गाय और सूअर की चर्बी से बने कारतूस को अपने मुंह से काटते हो, उन्हें मैं अपने हाथों से पानी नहीं पिला सकता। पुजारी की यह बात सुनकर भारतीय सैनिकों को बहुत बुरा लगा।

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और शुरू हुआ विद्रोह

उसी दिन जब निशानेबाजी के लिए सभी सैनिक इकट्ठा हुए तो भारतीय सैनिकों ने कारतूस खोलने से इंकार कर दिया। इस बात को लेकर भारतीय सैनिको और अंग्रेज सैनिको के बीच झगड़ा हो गया। इस झगड़े में भारतीय सैनिकों ने तीन अंग्रेज सैनिकों की हत्या कर दी। इसके बाद अन्य भारतीय सैनिक भी वहां पहुंचे और सभी ने मिलकर कई सारे अंग्रेज सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।

मेरठ पर कब्जा

भारतीय सैनिकों के विद्रोह की खबर जैसे ही मेरठ में फैली तो वहां के आम लोग भी भारतीय सैनिकों का साथ देने के लिए सड़कों पर आ गए। देखते ही देखते मेरठ पर भारतीय सैनिकों का कब्जा हो गया। इसके बाद विद्रोह की यह चिंगारी पूरे देश में फैल गई।

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