हाइलाइट्स :
विजयदशमी पर RSS मुख्यालय नागपुर में स्थापना दिवस व शस्त्र पूजन कार्यक्रम
विजयादशमी उत्सव 2023 के कार्यक्रम में मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित किया
G-20 का अर्थकेन्द्रित विचार अब मानव केन्द्रित हो गया: मोहन भागवत
महाराष्ट्र, भारत। विजयदशमी के अवसर पर नागपुर के रेशिमबाग मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय नागपुर में स्थापना दिवस और शस्त्र पूजन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस मौके पर विजयादशमी उत्सव 2023 के कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित किया।
विजयदशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित कर कहा- हर साल हम दुनिया भर में भारत की छवि को बढ़ते हुए देख रहे हैं। हम हर वर्ष विजयादशमी को शक्ति के उत्सव (शक्ति-पर्व) के रूप में मनाते हैं। इस वर्ष यह त्योहार हम सभी के लिए गर्व, खुशी और उत्साहजनक घटनाएं लेकर आया है। जी-20 - भारतीयों के आत्मीय आतिथ्य का अनुभव, भारत का गौरवशाली अतीत तथा वर्तमान की उमंगभरी उड़ान सभी देशों के सहभागियों को प्रभावित कर गई। पिछले वर्ष, भरत ने जी-20 के अध्यक्ष के रूप में मेजबान की भूमिका निभाई। लोगों द्वारा किए गए गर्मजोशी भरे आतिथ्य के अनुभव, भारत के गौरवशाली अतीत, चल रही रोमांचक विकास यात्रा ने सभी देशों के प्रतिभागियों को बहुत प्रभावित किया। भारत की विशिष्ट सोच और दृष्टि के कारण हमारा 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का मार्गदर्शक सिद्धांत अब पूरे विश्व के दर्शन में समाहित हो गया है।
हाल ही में, हमारे देश के खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में पहली बार 100 का आंकड़ा पार करते हुए 107 पदक (28 स्वर्ण, 38 रजत और 41 कांस्य) जीतकर हमें बहुत गर्व और खुशी दी। हम उन्हें हार्दिक बधाई देते हैं। चंद्रयान मिशन ने पुनर्जीवित भारत की ताकत, बुद्धिमत्ता और चातुर्य का भी शानदार प्रदर्शन किया। देश के नेतृत्व की इच्छाशक्ति हमारे वैज्ञानिकों के वैज्ञानिक ज्ञान और तकनीकी कौशल के साथ सहज रूप से जुड़ी हुई है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत
आगे उन्होंने यह भी कहा- हमारे देश के खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में पहली बार 100 से अधिक – 107 पदक (28 स्वर्ण, 38 रजत तथा 41 कांस्य) जीतकर हम सब का उत्साहवर्धन किया है। उनका हम अभिनन्दन करते हैं। भारत के विशिष्ट विचार व दृष्टि के कारण संपूर्ण विश्व के चिंतन में वसुधैव कुटुम्बकम् की दिशा जुड़ गई। G-20का अर्थकेन्द्रित विचार अब मानवकेन्द्रित हो गया। भारत को विश्व मंच पर प्रमुख राष्ट्र के नाते दृढ़तापूर्वक स्थापित करने का अभिनंदनीय कार्य हमारे नेतृत्व ने किया है।
रामलला की प्रतिष्ठा के अवसर पर हमें जगह-जगह यह आयोजन करना चाहिए।' इससे हर हृदय में मन के राम जागृत होंगे और मन की अयोध्या का श्रृंगार होगा, समाज में स्नेह, जिम्मेदारी और सद्भावना का वातावरण बनेगा। हम श्री महावीर स्वामी के 2550वें निर्वाण वर्ष का जश्न मना रहे हैं, जिन्होंने अपने अनुकरणीय जीवन से पूरे विश्व को अहिंसा, दया और नैतिकता का मार्ग दिखाया।
G-20 में अफ्रीकी यूनियन को सदस्य के नाते स्वीकृत कराने में तथा पहले ही दिन परिषद का घोषणा प्रस्ताव सर्व सहमति से पारित करने में भारत की प्रामाणिक सद्भावना तथा राजनयिक कुशलता का अनुभव सबने पाया।
भारत के उत्थान का उद्देश्य सदैव विश्व का कल्याण रहा है। लेकिन, स्वार्थी, भेदभावपूर्ण और धोखेबाज ताकतें अपने सांप्रदायिक हितों की तलाश में सामाजिक एकता को बाधित करने और संघर्ष को बढ़ावा देने के अपने प्रयास भी कर रही हैं। वे तरह-तरह के लबादे पहनते हैं। इनमें से कुछ विनाशकारी ताकतें खुद को सांस्कृतिक मार्क्सवादी या "वोक" कहती हैं। वे कुछ ऊंचे लक्ष्यों के लिए काम करने का दावा करते हैं लेकिन उनका असली उद्देश्य दुनिया में सभी सुव्यवस्था और नैतिकता, उपकार, संस्कृति, गरिमा और संयम है।
सांस्कृतिक मार्क्सवादी अराजकता और अविवेक को पुरस्कृत करते हैं, बढ़ावा देते हैं, फैलाते हैं। उनकी कार्यप्रणाली में मीडिया और शिक्षा जगत पर नियंत्रण करना और शिक्षा, संस्कृति, राजनीति और सामाजिक वातावरण को भ्रम, अराजकता और भ्रष्टाचार में डुबाना शामिल है।
हमारे संविधान की मूल प्रति के एक पृष्ठ पर जिनका चित्र अंकित है, ऐसे धर्म के मूर्तिमान प्रतीक श्रीराम के बालक रूप का मंदिर अयोध्या जी में बन रहा है। आने वाली 22 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। व्यवस्थागत कठिनाइयों के तथा सुरक्षाओं की सावधानियों के चलते उस पावन अवसर पर अयोध्या में बहुत मर्यादित संख्या ही उपस्थित रह सकेगी।
श्रीराम अपने देश के आचरण की मर्यादा के प्रतीक हैं, कर्तव्य पालन के प्रतीक हैं, स्नेह व करुणा के प्रतीक हैं। अपने-अपने स्थान पर ही ऐसा वातावरण बने। राम मंदिर में श्रीरामलला के प्रवेश से प्रत्येक ह्रदय में अपने मन के राम को जागृत करते हुए मन की अयोध्या सजे व सर्वत्र स्नेह, पुरुषार्थ तथा सद्भावना का वातावरण उत्पन्न हो ऐसे, अनेक स्थानों पर परन्तु छोटे छोटे आयोजन करने चाहिए।
जिन्होंने देश की स्वतंत्रता की अलख अपने जीवन के यौवनकाल से ही जगाना प्रारंभ किया, गरीबों के अन्नदान कार्यक्रम हेतु जिनका सुलगाया हुआ पहला चूल्हा आज भी तमिलनाडु में प्रदीप्त है और अपना काम कर रहा है, ऐसे तमिल संत श्रीमद् रामलिंग वल्ललार का 200वाँ वर्ष अभी इसी महीने सम्पन्न हो गया। स्वतंत्रता के साथ-साथ समाज की आध्यात्मिक सांस्कृतिक जागृति तथा सामाजिक विषमता के सम्पूर्ण निर्मूलन के लिए वे जीवनभर कार्य करते रहे।
लोगों के मन में अविश्वास, भ्रम और जहर पैदा करने वाली इस कार्यशैली को चाणक्य नीति के अनुसार 'मंत्र विप्लव' कहा जाता है। लगभग एक दशक तक शांतिपूर्ण रहे मणिपुर में अचानक आपसी कलह और संघर्ष देखने को मिला है। माहौल बिगाड़ने की कोशिश में किसका निहित स्वार्थ है? वे कौन सी ताकतें हैं जो शांति के लिए कोई भी सकारात्मक कदम उठाते ही कोई घटना कारित कर नफरत और हिंसा भड़काने का प्रयास कर रही हैं।
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