मुंबई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में आश्वासन दिया कि सरकार महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा क्षेत्र के नागरिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और उनके साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। श्री शिंदे विधानसभा सदस्य और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल द्वारा उठाए गए मुद्दे पर जवाब दे रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, “हम सीमा मुद्दे को लेकर संवेदनशील हैं और इसे जल्द से जल्द सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सुनिश्चित करना सरकार की भी भूमिका है कि कर्नाटक सरकार द्वारा सीमा पर रह रहे नागरिकों के साथ कोई अन्याय न हो।”
उन्होंने बताया कि यह मामला उच्चतम न्यायालम में लंबित है और शीर्ष अदालत में मामला पेश करने के लिए विशेषज्ञ अधिवक्ता को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को भी इस मामले में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए कहा गया है और वह इसके लिए हमेशा से तत्पर है। राज्य सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए केंद्र सरकार से अपील करने की पहल की, जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। इस बैठक में सीमावर्ती इलाकों का मामला शीर्ष अदालत में लंबित रहने तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लिया गया। साथ ही महाराष्ट्र और कर्नाटक के अन्य मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों से तीन मंत्रियों की समिति का गठन करने का निर्णय लिया है।
बैठक के मुताबिक इस समिति के लिए तीन मंत्रियों का चयन किया गया है और जल्द ही उनकी बैठक आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि कर्नाटक सरकार को सीमावर्ती क्षेत्रों के युवाओं के खिलाफ दायर मामलों को वापस लेने के लिए मजबूर किया जाएगा। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से सीमावर्ती क्षेत्रों के संगठनों को दी जाने वाली मुख्यमंत्री चैरिटेबल फंड को फिर से दिया जाने लगा है। राज्य सरकारने सीमावर्ती क्षेत्रों के स्कूलों और संस्थानों को अनुदान देने का निर्णय लिया गया है। साथ ही महात्मा फूले आरोग्यदायी योजना का लाभ सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों को भी लागू करने का निर्णय लिया है। सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार करने का भी निर्णय लिया गया है। श्री शिंदे ने इस अवसर पर कहा कि इस तरह के निर्णयों से सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों को न्याय दिलाने का फैसला लिया गया है और सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों के साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सत्र के दौरान बैठक बुलाई गई थी।
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