इंंदौर, मध्यप्रदेश। कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए शहर के सभी बढ़े निजी और सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है, ताकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिस प्रकार से ऑक्सीजन की कमी के चलते हा-हाकार मचा था और लोग ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे थे, वैसी परिस्थितियां न बनें।
इसी के तहत एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन शुरू हुए सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल अस्पताल में गुरुवार से एयर सेपरेटर (ऑक्सीजन प्लांट) लगाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके लिए बुधवार को यूनिट और प्लांट के पार्ट्स अस्पताल पहुंचे थे। इस यूनिट रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के इंजीनियरों द्वारा स्थापित किया जा रहा है।
पूरा संयंत्र डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है और इसे नेशनल हाइवे अथारिटी द्वारा अस्पताल दान किया जाना है। यह जिले का सबसे बड़ा ऑक्सीजन प्लांट (एयर सेपरेटर) होगा क्योंकि यह प्रति मिनट लगभग 2 हजदार लीटर ऑक्सीजन उत्पन्न कर सकता है। इसी तरह से एमवायएच अस्पताल में 10 हजार लीटर का लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट भी लगाया जाएगा। यह प्लांट लगने के बाद एमवायएच में जो 5000 लीटर और 1000 लीटर के मौजूदा प्लांट को एमआरटीबी और न्यू चेस्ट वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन ने जिले में 41 ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है, लेकिन इकाइयों को स्थापित करने के लिए और अधिक निजी अस्पतालों के आगे आने से संख्या बढ़कर 47 हो गई है। ज्यादातर अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगभग तैयार हो चुके हैं और कुछ अस्पतालों में अंतिम चरणों में। उल्लेखनीय है कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर यह माना जा रहा है कि यह सितंबर माह में आ सकती है। इसलिए सभी प्लांट सितंबर माह तक पूरे करने की तैयार करने की योजना थी, जिसमें बड़ी हद तक कामयाबी मिलती दिख रही है।
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