भोपाल,मध्यप्रदेश । नारी को अनपूर्णा कहा जाता है और वह शक्ति का प्रतीक भी है। यह समय-समय पर सिद्ध भी हुआ है। ऐसी ही कुछ महिलाएं जो अपने अस्तित्व की पहचान बनाते हुए दूसरों के जीवन में खुशियों का कारण बनी। यह महिलाएं सामान्य होते हुए भी खास हैं। समाज के लिए प्रेरणा हैं वो महिलाएं जो स्वयं के साथ ही अन्य महिलाओं और बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए काम कर रही हैं। इनमें से कोई अपने सपने साकार करते-करते उस सफर पर निकल पड़ा, जहां अब वह दूसरों के लिए कार्य कर सुख महसूस करती हैं। इनका अन्य महिलाओं से कहना है कि पहले आत्म निर्भर बनें और सक्षम हैं तो जन कल्याण में पीछे ना हटें। इन महिलाओं की कहानी सुन एक मशहूर गीत जबान पर आता है : अपने लिए जीए तो क्या जीए, तू जी-ए-दिल जमाने के लिए।
अपना प्रकाश स्वयं बनो
स्कूल शिक्षा विभाग में एडिशनल डायरेक्टर शीला दाहिमा अपने कार्यक्षेत्र में सक्रियता के साथ ही समाज सेवा के लिए भी जानी जाती हैं। वह जहां भी पोस्टेड होती हैं, अपनी ड्युटी कुशलता पूर्वक करती हैं। साथ ही अपने स्तर पर भी लोगों की मदद के लिए आगे रहती हैं। शीला का कहना है कि आज महिलाओं की स्थिती में काफी सुधार हुआ है, यह क्रम जारी है। वह कहती है कि अप्प दीपो भव: अर्थात अपना प्रकाश स्वयं बनो। आत्म सुधार कर आत्म निर्भर बनें ,आशावादी रहें, जहां रहें वहां अपने सामथ्र्य अनुसार दूसरों के हित के लिए भी कार्य करें। आप सक्षम होंगे तो दूसरों की मदद कर सकेंगे।
शासकीय सेवाओं में नवाचार बने पहचान
आंगनवाड़ी में बतौर पर्यवेक्षक काम करने वाली डॉ. ज्योती नवहाल शासकीय सेवाओं में नवाचार के लिए जानी जाती हैं। ज्योती आंगनवाड़ी के लिए कार्य कर रही हैं, लेकिन साथ ही वह खुद के प्रयासों से संसाधन व दान एकत्रित कर महिलाओं और कुपोषित बच्चों के जीवन में खुशहाली लाने का प्रयास कर रही हैं। ज्योती ने दान एकत्रित करने के लिए खुशियों की टोकरी रखी, जिसमें दान देने वाले और लेने वाले दोनों को ही खुशी मिली। कुपोषित बच्चों के लिए देशी अनाज गुड,गेंहू,तिल, चना आदि एकत्रित कर उसका प्रोटीन पाउडर बनाया। ज्योती क्षेत्रीय महिलाओं को उन्हीं की भाषा में नुक्कड नाटक और कविता के माध्यम से नारी सशिक्तकरण के लिए प्रोत्साहित करती है, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया है।
स्वयं की पहचान ढूंढते हुए बनी मददगार
स्वयं की पहचान ढूंढते हुए आंगबाड़ी कार्यकर्ता सरोज शिवहरे आज अपनी विशिष्ठ पहचान बना चुकी हैं। वह 2020 से लेकर अब तक 49 महिलाओं का प्रसव करा चुकी हैं, जिसमें से 28 महिलाओं का अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में ही सरोज ने अन्य महिलाओं की सहायता से सफल प्रसव कराया। सरोज लोगों की मदद के लिए सरकारी मदद या योजनाओं का इंतजार नहीं करती। वह अन्य महिलाओं को जोड़ विषम परिस्थितियों में भी आसपास के गांवों तक मदद पहुंचाती हैं।
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