पुख्ता कानून और नियम होने के बाद भी शहर में सूदखोरों के जाल में फंसे सैंकड़ों परिवारों को कोई राहत नहीं मिल पा रही है। छुटभैये नेता, गुंडे, दुकान खोलकर व्यापार की आड़ में ब्याज का धंधा कर रहे सूदखोरों पर नकेल कसने के लिए पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई में रसूखदारों की भूमिका के साथ ही शिकायतों के न मिलने से कार्यवाही नहीं हो पा रही है।
उमरिया, मध्यप्रदेश। ब्याज में पैसा देकर कर्जदार का सबकुछ लूट लेने वाले सूदखोरों को पकड़ने व उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश उपपुलिस महानिदेशक डी.सी.सागर ने दिया था, आईजी के निर्देश के बाद भी संभवत: अभी तक सूदखोरों के खिलाफ कोई अभियान नहीं चलाया गया है। जिले में जरूर एक-दो सूदखोर के खिलाफ कार्रवाई की गई है, इसके बाद जिला मुख्यालय सहित अन्य थाना क्षेत्र में सूदखोरों के खिलाफ कोई शिकायत अभी तक नहीं हो पाई है। दूसरी ओर शिकायत के अभाव में पुलिस कार्रवाई भी नहीं कर पा रही है। जिला मुख्यालय में रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, कालरी कर्मचारी एवं मध्यमवर्गीय परिवार सूदखोरी के चंगूल में जकड़ा हुआ है, कप्तान की सख्ती से कुछ दिन तो मुख्यालय में सूदखोर सहमे रहे, लेकिन दबे पांव जिला मुख्यालय में आज भी खलेसर का रवि, संजय मार्केट का गंगवानी, स्टेशन चौराहा के मुन्ना, ल'छू, सिंधी कालोनी छतवानी कालोनी, खलेसर का रामू जैसे लोग वर्षाे से सूद पर रूपया देकर जमकर वसूली कर रहे हैं।
बनावटी दरियादिली :
सरकार ने जनधन खातों की बात की और कहा कि अब देश के हर शख्स की पहुंच बैंक तक होगी, लेकिन जिला मुख्यालय के रेलवे कर्मचारी, कालरी कर्मचारी सहित अन्य जगह निवासरत रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आज भी लोकल महाजनों के भरोसे बैठा है। शहर में सूदखोरी में रवि, संजय मार्केट का गंगवानी, स्टेशन चौराहा के मुन्ना, लच्छू, सिंधी कालोनी छतवानी कालोनी, खलेसर के रामू के खिलाफ कोई दबी जुबां में भी बोलने को तैयार नहीं है, सूत्रों की मानें तो इनके गुर्गाे द्वारा जरूरत मंदों की दुखती रग पर हाथ रखते हुए उन्हें अपने आका तक ले जाते हैं। अगर गिरवी रखने को कुछ न मिला, तब भी बनावटी दरियादिली दिखाते हुए कर्ज दिया जाता है। एक बार जिसने सूदखोरों से कर्ज ले लिया, फिर उससे उबरना आसान नहीं रहता। आखिर में उन्हें ब्याज चुका कर अपना सब कुछ गवां देना पड़ता है।
शिकायत नहीं जुटा पा रहे हिम्मत :
कर्ज में डूबे लोग इस कदर सूदखोर रवि, गंगवानी, लच्छू और किशोर से डरे हुए हैं कि वे उनकी प्रताडऩा से तंग आकर भले ही जमीन जायदाद बेचकर कर्ज चुका देंगे या आत्महत्या करने जैसा कठोर कदम उठा लेंगे, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही है कि ऐसे सूदखोरों के खिलाफ थानों में शिकायत कर सकें। सूदखोर रकम देने से पहले कोरे चेक, एटीएम, पासबुक सहित माह की 5 से 10 तारीख के बीच बैंक में लगी लाईनों के पीछे देखा जा सकता है, सूत्रों की मानें तो स्टेशन चौक का बहादुर लोगों को डरा धमका कर वसूली करने का जिम्मा लिये हुए है। अब सूदखोरों के खिलाफ सीआईडी द्वारा जांच करने की बातें कहीं गई थी, लेकिन सप्ताह बीतने के बाद भी एकाध कार्यवाही न होना समझ से परे है।
कार्यवाही की मांग :
बीते माहों में पुलिस ने सूदखोरों के खिलाफ कार्यवाही की थी, एक या दो सूदखोरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए गए। इसके बाद यकायक क्या हुआ कि पुलिस ने सूदखोरों की हरकतों पर गौर करना बंद कर दिया, कई मामले ऐसे आए हैं, जिनमें सूदखोरों ने हजारों रुपए उधार में दिया व एवज में लाखों रुपए तक वसूले। वहीं कुछ रेलवे कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद भी कर्ज के बोझ से दबे कराह रहे हैं और रवि, गंगवानी, ल'छु और किशोर और तेज को ब्याज देने को मजबूर हैं, जागरूकजनों ने सीआईडी विभाग के जिम्मेदारों सहित पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि जिस प्रकार पड़ोसी जिले में सूदखोरों के खिलाफ ऑपरेशन शंखनाद चलाया गया था, उसी तर्ज पर मुख्यालय में कार्यवाही की जाये, जिससे सूदखोरों से परेशान लोगों को निजाद मिल सके।
सरकार ने कर्ज किया माफ :
सूदखोरों के गैंग की काली करतूत से परेशान होकर एक परिवार के आत्महत्या करने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा कदम उठाया है, प्रदेश में 4 दिसंबर से पेसा एक्ट लागू कर दिया गया है। इसके तहत अब बिना लाइसेंस सूदखोरों से लिया 15 अगस्त 2020 तक का सारा कर्ज माफ हो जाएगा। यानी बिना किसी लाइसेंस के किसी सूदखोर ने आपको कर्ज दिया है तो, ऐसा 15 अगस्त 2020 तक का कर्ज सरकार ने माफ कर दिया है। यानी सूदखोर आपसे कर्ज की वसूली नहीं कर सकता है।
इनका कहना है :
शिकायत के अभाव में कार्यवाही नहीं हो पा रही है, सीआईडी भी अब इस मामले में जांच करेगी, जल्द ही सूदखोरों के खिलाफ बड़ी कार्यवाही सामने आ सकती है।संतोष उद्दे, निरीक्षक, डीएसबी शाखा, उमरिया
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