हाइलाइट्स :
घाटी गांव क्षेत्र के आसपास बड़ी संख्या में हुआ है सफे द पत्थरों का खनन
20 से 30 मीटर गहरे हैं गड्ढे, इन्हीं गड्ढों में समा रहा पानी
727.8 फीट है तिघरा का लेबल, 11.2 फीट खाली है बांध
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। अंचल में लगातार हो रही बारिश से सैकड़ों गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। हजारों लोगों के घर बह गए और फसलें चौपट हो गईं। इसके बावजूद ग्वालियर को पानी पिलाने वाले तिघरा बांध अब तक खाली है। शनिवार को बांध का लेबल 727.8 फीट था। अब भी बांध 11.2 फीट खाली है। जानकारों की मानें तो तिघरा के कैचमेंट एरिए में हुए अवैध उत्खनन के कारण बारिश होने के बावजूद बांध नहीं भर पा रहा। घाटी गांव सहित सोन चिरैया अभ्यारण में जमकर सफेद पत्थरों का खनन किया गया है। माफियाओं ने 20 से 30 मीटर गहराई तक पत्थर निकाला है। अब यह खदानें खाली पड़ी हैं और इनमें बारिश का पानी समा रहा है। यही वजह है कि अच्छी बारिश के बावजूद तिघरा नहीं भर सका है।
तिघरा बांध का कैचमेंट एरिया घाटी गांव एवं आसपास की पहाड़ी हैं। इन पहाड़िय़ों में बरसने वाला पानी सांक नदी से होता हुआ तिघरा तक पहुंचता है। कुछ साल पहले तक तिघरा बांध को भरने के लिए तीन से चार दिन की मूसलाधार बारिश पर्याप्त होती थी। लेकिन अब लगातार बारिश होने के बावजूद तिघरा बांध नहीं भर पा रहा है। इसका मुख्य कारण तिघरा के कैचमेंट एरिए में किया गया अवैध उत्खनन है। माफियाओं द्वारा घाटी गांव क्षेत्र में सफेद पत्थरों का उत्खनन कर गहरी खादानें खोद दी गई हैं। इन खदानों में अरबों लीटर पानी समा जाता है। इतना ही नहीं खदानों में भरा पानी जमीन के अंदर चला जाता जिससे बारिश होने पर पानी इन्हीं खदानों में भरता रहता है। यह पानी तिघरा बांध तक नहीं पहुंच पाता। अवैध उत्खनन रोकने की जिम्मेदारी वन विभाग की है लेकिन अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हुए हैं। इसी तरह खनन चलता रहा तो कितनी भी बारिश होने पर तिघरा बांध भरेगा नहीं।
औसत से ज्यादा हो चुकी है बारिश :
मौसम विभाग के अनुसार ग्वालियर जिले की औसत बारिश 748 मिली मीटर होती है। इसमें से शनिवार तक 433.6 मिली मीटर बारिश हो चुकी है। अगस्त माह के हिसाब से यह बारिश औसत से अधिक है। इसके बावजूद तिघरा का न भरना कई सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि जल संसाधन विभाग के अधिकारी कुछ दिन में तिघरा के भरने की उम्मीद जता रहे हैं। लेकिन अवैध उत्खनन नहीं हुआ होता से बांध अब तक भर चुका होता।
'मद्दा खो' जाने वाले रास्ते पर दिखती है अवैध उत्खनन की हकीकत :
घाटी गांव क्षेत्र में बने 'मद्दा खो' धार्मिक स्थल पर जाने वाले रास्ते में अवैध उत्खनन की हकीकत दिखाई देती है। यहां मुख्य सड़क पर ही सफेद पत्थरों के ढेर लगे हैं साथ ही गहरे गड्ढें भी बने हुए हैं। इससे पता चलता है कि माफियाओं ने खुले आम उत्खनन किया है। इन्हीं गड्ढों में बारिश का पानी भर जाता है।
पेहसारी बांध से छोड़ा जा रहा है पानी :
बारिश में अपर ककेटो, ककेटो एवं पेहसारी बांध को फुल कर दिया है। इससे बांध ओवर फ्लो होने पर पानी तिघरा के लिए कैनाल में छोड़ा जा रहा है। इसी पानी से प्रतिदिन तिघरा का जल स्तर आधा फीट बढ़ रहा है। अब भी तिघरा बांध 11.2 फीट खाली है। इसे भरने में अभी 10 से 12 दिन का समय लग सकता है। हालांकि अच्छी बारिश होने पर बांध दो दिन में भी भर सकता है।
पिछले 11 दिनों में इस तरह हुई है बारिश :
28 जुलाई को सुबह तक 14.2 एवं शाम को 23.4 एमएम बारिश।
29 जुलाई को सुबह तक 28.1 एवं शाम को 11.4 एमएम बारिश।
30 जुलाई को सुबह तक 26.0 एवं शाम को 4.6 एमएम बारिश।
31 जुलाई को सुबह तक 5.2 एवं शाम को 00 एमएम बारिश।
1 अगस्त को सुबह तक 1.0 एवं शाम को 5.4 एमएम बारिश।
2 अगस्त को सुबह तक 57.4 एवं शाम को 21.8 एमएम बारिश।
3 अगस्त को सुबह तक 28.7 एवं शाम को 1.0 एमएम बारिश।
4 अगस्त को सुबह तक 3.2 एवं शाम को 6.9 एमएम बारिश।
5 अगस्त को सुबह तक 10.2 एवं शाम को 3.9 एमएम बारिश।
6 अगस्त को सुबह तक 3.9 एवं शाम को 13.1 एमएम बारिश।
7 अगस्त को सुबह तक 14.5 एवं शाम को 1.8 एमएम बारिश।
इनका कहना है :
घाटी गांव क्षेत्र में माफियाओं द्वार सफेद पत्थर निकालने के लिए सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर अवैध उत्खनन किया है। सोन चिरैया अभ्यारण मेें से खुले आम यह पत्थर निकाला गया है। यह क्रम अब भी जारी है। यहां 20 से 30 मीटर गहरी खदाने भी हैं जिसमें बारिश का पानी भरा हुआ है। यहां कभी भी हादसा हो सकता है। इस संबंध में हम वन विभाग, पुलिस, एवं कलेक्टर को भी शिकायत कर चुके हैं। लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।हरिमोहन, सामाजिक कार्यकर्ता
यह बात यही है कि तिघरा के कैचमेंट एरिए में बारिश होने के बावजूद बांध नहीं भर पा रहा है। अवैध उत्खनन के जरिए जो गहरे गढ्डे किए गए हैं उनमें बारिश का पानी समा जाता है। इससे सांक नदी तक कैचमेंट का पानी नहीं पहुंच रहा। हालांकि हमें पूरी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तिघरा पूरा भर जायेगा।यादवेन्द्र शर्मा, एसडीओ, जल संसाधन विभाग
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