इंदौर, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के कुख्यात व्यापमं घोटाले से जुड़े पीएमटी फर्जीवाड़े के मामले में विशेष अदालत ने पांच आरोंपियों को सात-सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही इन पर दस-दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।
विशेष सीबीआई अदालत संजय कुमार गुप्ता ने आरोपी रविंद्र दुलावत, संजय दुलावत, सत्यपाल कुस्तवार, आशीष उतम और शैलेंद्र सिंह इन पांचों को मध्यप्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की समबध्द धाराओं के साथ भारतीय दंड विधान की धारा और अन्य प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया। मामले की जांच करने वाले सीबीआई ने विशेष अदालत में इन पांचो पर आरोप साबित किया कि वह 2009 में आयोजित प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) के दौरान परीक्षा केंद्र में मूल उम्मीदवार के स्थान पर बैठा था। विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने सीबीआई की ओर से पैरवी करते हुए इन पर जुर्म साबित करने के लिए 70 गवाह पेश किए। अभियोजन के मुताबिक फजीवाड़े का खुलासा तब हुआ, जब परीक्षा केंद्र में एक पर्यवेक्षक ने पाया कि इनके पास मिले प्रवेश पत्र पर नाम तो सही लिखा हुआ है, लेकिन इस दस्तावेज पर चस्पा फोटो इसके चेहरे से मेल नही खा रहा है।
मामला 2009 का है। रवींद्र पुत्र गुटई दुलावत निवासी मुरैना और सत्यपाल पुत्र राजाराम कुस्तवार निवासी जिला भिंड ने परीक्षा का फार्म भरा था। परीक्षा केंद्र पर जांच में पता चला कि रवींद्र की जगह आशीष पुत्र गयाराम निवासी कानपुर और सत्यपाल की जगह शैलेंद्र कुमार पुत्र हरिनारायण निवासी फतेहपुर परीक्षा दे रहे थे। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया। पता चला कि मुख्य परीक्षार्थियों की जगह फर्जी परीक्षार्थियों की व्यवस्था संजय दुलावत निवासी खेतिया ने की थी। पुलिस ने उसे और एक अन्य को प्रकरण में आरोपी बनाया। बाद में इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई। जांच में आरोपों की पुष्टि हुई जिसके बाद सभी आरोपियों के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया।
उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2015 में दिए गए आदेश के तहत व्यापमं घोटाले से जुड़े मामलों की जांच सीबीआई कर रहीं है।
व्यावसायिक परीक्षा मंडल व्यापमं की आयोजित प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इसका आधिकारिक नाम बदलकर, प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड, कर दिया था।
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