लखनऊ, उत्तर प्रदेश। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से पहले उत्तर प्रदेश को करीब 21 लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं, जिसमें आधे से अधिक प्रस्ताव निर्माण क्षेत्र से हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि 10-12 फरवरी को होने जा रही यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (यूपीजीआईएस) से पहले ही सरकार को विभिन देशों, देश के बड़े महानगरों, प्रदेश के अंदर मंडलों, जनपदों और विभागों की ओर से किए गए निवेशक सम्मेलनों व रोड शो के माध्यम से करीब 21 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि निवेश के जो प्रस्ताव या एमओयू हुए हैं, उनमें सबसे ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर है। 56 प्रतिशत के करीब निवेश इसी सेक्टर में किया जाना है।
उन्होंने बताया कि आयोजन से पहले मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंत्रियों और अधिकारियों की कई टीमों ने 16 देशों के 21 शहरों के अलावा देश के बड़े महानगरों में रोड शो के माध्यम से निवेशकों को यूपीजीआईएस के लिए आमंत्रित किया। साथ ही, बिजनेस टू गवर्नमेंट मीटिंग के दौरान बिजनेस समुदाय के साथ प्रदेश में निवेश को लेकर चर्चा की गई। इसका जबर्दस्त रिस्पॉन्स देखने को मिला और तमाम कंपनियों ने प्रदेश में निवेश का अपना इरादा जाहिर किया। इनमें से कई ने तो ऑन द स्पॉट एमओयू भी कर लिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार निवेश प्रस्तावों और एमओयू में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सबसे कॉमन सेक्टर रहा। विदेश और देश की कंपनियां प्रदेश में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए लालायित हैं। कई कंपनियां नई यूनिट के माध्यम से अपने व्यापार को विस्तार देना चाहती हैं तो कई ऐसी भी हैं, जो पहली बार यूपी में अपने प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने वाली हैं।
सूत्रों के अनुसार कुल प्रस्तावों और एमओयू में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने दबदबा कायम करते हुए सबसे ज्यादा 56 प्रतिशत पर अपना अधिकार जमाया है। वहीं, दूसरे नंबर पर एग्रीकल्चर सेक्टर रहा है, जिसमें 15 प्रतिशत निवेश के प्रस्ताव और एमओयू मिले हैं। आठ प्रतिशत के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर तीसरे, सात प्रतिशत के साथ टेक्सटाइल चौथे और पांच प्रतिशत के साथ टूरिज्म पांचवें नंबर पर रहा है। इसके अलावा एजुकेशन, आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, हेल्थकेयर, वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक, रिन्यूएबल एनर्जी और फार्मास्युटिकल्स और मेडिकल डिवाइसेज जैसे सेक्टर में निवेश प्रस्ताव और एमओयू आए हैं।
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