हाइलाइट्स :
चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में दिया जवाब।
आयोग के जवाब के बाद कोर्ट ने किया याचिका का निराकरण।
जबलपुर, मध्यप्रदेश। कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी के बीच नगरीय निकाय चुनाव कराए जाने की तैयारी को चुनौती देते हुए दायर की गई जनहित याचिका में मंगलवार को चुनाव आयोग ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव व जस्टिस वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ के समक्ष हुई सुनवाई दौरान चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि कोरोना तीसरी लहर की स्थिति स्पष्ट होने के बाद सरकार से चर्चा कर सहमति के बाद ही नगरीय निकाय चुनाव पर निर्णय लिया जाएगा। मानव की जीवन की रक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है, चुनाव कराना नहीं है। चुनाव आयोग के उक्त जवाब के बाद युगलपीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया।
यह जनहित का मामला नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव की ओर से दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि प्रदेश के 27 जिलों में कोरोना का डेल्टा वैरियंट फैल चुका है। आईएमए तथा विश्व स्वास्थ संगठन ने स्पष्ट रूप से कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी है। तीसरी तहर अधिक खतरनाक रहने की संभावना है। इसके बावजूद भी चुनाव आयोग प्रदेश में नगरीय निकाय के चुनाव करवाने की तैयारी कर रहा है। इस संबंध में चुनाव आयोग द्वारा 15 जुलाई को बैठक का आयोजन किया गया था। प्रदेश के 347 शहरी निकायों में 15 सितंबर से तथा दिसंबर माह में पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो जायेंगी। याचिका में कहा गया था कि पूरा तंत्र चुनाव के आयोजन में लग जाएगा। देश के कई प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के कारण कोरोनों मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। प्रदेश में दमोह विधानसभा के उपचुनाव में भी कई लोगों की मौत हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी उत्तर प्रदेश में कावड़ यात्रा में रोक लगा दी है। याचिका में मांग की गई थी कि जब तक प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर के प्रभाव की अधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं की जाती तब तक नगरीय निकाय चुनाव नहीं कराए जाएं।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया कि उनके द्वारा फिलहाल नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। कोरोना की तीसरी लहर के संबंध में स्थिति स्पष्ट होने के बाद सरकार से चर्चा कर नगरीय निकाय चुनाव के आयोजन पर कोई निर्णय लिया जाएगा। हमारे लिए मानव जीवन की रक्षा पहली प्राथमिकता है, चुनाव आयोजित कराना नहीं। निर्वाचन प्रक्रिया में कोरोना संक्रमण से बचाव प्राथमिकता में शामिल है। चुनाव आयोग के जवाब के बाद युगलपीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया।
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