Pollution Control Board Afsar Khan
मध्य प्रदेश

प्रदेश की नगरीय निकायों को अदा करना होगा 5 लाख रूपये मासिक जुर्माना

भोपाल, मध्य प्रदेश : एनजीटी के आदेशों के बाद दूषित जल उपचार की नहीं की व्यवस्था, समयावधि निकलने पर कोर्ट ने सरकार के 15 करोड़ किये जब्त।

Author : Afsar Khan

भोपाल, मध्य प्रदेश। राष्ट्रीय हरित अधिकरण की नई दिल्ली स्थित मुख्य पीठ ने प्रकरण क्रमांक 606/2018 में 16 जनवरी 2019 को आदेश पारित किया था कि प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को 31 मार्च 2020 तक दूषित जल उपचार की व्यवस्था करनी है। समयावधि के बाद व्यवस्था नहीं करने पर पर्यावरण क्षति के तौर पर प्रतिमाह प्रति नाले के हिसाब से निर्धारित की थी। इसके अलावा प्रदेश सरकार से 15 करोड़ रूपये बतौर बैंक गारंटी जमा करवाई थी।

जब्त हुई करोड़ों की राशि :

31 मार्च तक दूषित जल उपचार की व्यवस्था प्रदेश की 378 नगरीय निकायों के द्वारा न करने पर कोर्ट ने जमा की गई 15 करोड़ रूपये की बैंक गारंटी की राशि जब्त हो गई है, जो कि सरकार के लिए चिंता का विषय है, इतना ही नही कोर्ट के आदेश के तहत अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को पत्र लिखकर अपने-अपने दायरे में आने वाली नगरीय निकाय से पेनाल्टी वसूल करने के आदेश जारी किये हैं।

यह करनी थी व्यवस्था :

नगरीय निकायों से उत्पनन होने वाले गंदे नाले जो जल स्त्रोतों में मिलते हैं, उनमें फायटोरेमेडिएशन एवं बायोरेमेडिएशन, इसके साथ ही दूषित जल उपचार की व्यवस्था के लिए एसटीपी लगाने की समयावधि 31 मार्च निर्धारित की गई थी, साथ ही निर्माणाधीन एसटीपी यदि 31 मार्च 2021 तक पूरी नहीं होती है तो, पर्यावरण क्षति के तौर पर 10 लाख रूपये प्रतिमाह, प्रति एसटीपी निर्धारित की गई थी।

प्रति नाला 5 लाख की पेनाल्टी :

फायटोरेमेडिएशन एवं बायोरेमेडिएशन की व्यवस्था पूर्ण न होने पर निकायों को 5 लाख रूपये प्रति माह, प्रति नाला के साथ ही एसटीपी स्थापित न करने पर 5 लाख रूपये प्रति एसटीपी पर्यावरण क्षति के तौर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अदा करनी होगी।

भेजनी होगी मासिक जानकारी :

सभी क्षेत्रीय कार्यालय को बोर्ड मुख्यालय को पर्यावरण क्षति के तौर अधिरोपित की गई, राशि के साथ ही एसटीपी की जानकारी हर माह गणना कर भेजनी होगी। वहीं अब प्रदेश की नगरीय निकायों के लिए एक अंतिम समय बचा है, अगर वह 31 मार्च 2021 तक एसटीपी का निर्माण पूरा नहीं कर लेती हैं तो, प्रतिमाह 10 लाख रूपये पेनाल्टी के तौर अदा करनें होंगे, जिसका आर्थिक बोझ निकायों के साथ प्रदेश पर भी पड़ेगा।

इनका कहना है :

कोर्ट का आदेश आने के बाद कई बार नगरीय प्रशासन विभाग को पत्राचार किया गया, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। कोर्ट के आदेश का पालन करने और पेनाल्टी की राशि वसूल करने के लिए सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देशित कर दिया गया है।
आर.एस.कोरी, डायरेक्टर, पर्यावरण विभाग भोपाल

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