रेलवे की तीसरी लाईन के विस्तार के लिए चोरी की वह भी घटिया रेत का उपयोग किया जा रहा है, करोड़ों का टर्न-ओव्हर करने वाले झाझरिया ग्रुप के स्थानीय नुमाइंदे उसकी साख पर बट्टा लगा रहे हैं, साथ ही कंपनी के जिम्मेदारों के लिए भविष्य में चोरी जैसा मामला दर्ज कराने की व्यवस्था में लगे हैं, इधर प्राकल्लन से हटकर उपयोग की जा रही रेत से तीसरी लाईन का भविष्य कहां टिकेगा।
उमरिया, मध्यप्रदेश। जिले के घुनघुटी वन परिक्षेत्र में रेलवे के द्वारा किए जा रहे तीसरी लाइन के विस्तार पर कई नदी नालों पर बड़े-बड़े पुल का निर्माण भी किया जा रहा है और इस कार्य पर बाकायदा करोड़ों रुपए की लागत से हाई क्वालिटी गुणवत्ता से परिपूर्ण निर्माण सामग्री भी लगाई जानी है, लेकिन इस तीसरे लाइन को निर्माण करने वाली धाकड़ कंपनी झांझरिया बेखौफ तरीके से रेलवे की बन रही पुलिया पर चोरी की रेत का उपयोग करते हुए पुल का निर्माण कर रही है ऐसी खबर है।
घुनघुटी क्षेत्र में हो रहा भंडारण :
तीसरी लाइन के विस्तार में दर्जनों पुलिया का निर्माण होना है, इसके लिए झांझरिया ग्रुप द्वारा घुनघुटी क्षेत्र में अपना खुद का प्लांट तैयार किया गया है, जहां पर रेत, गिट्टी, सीमेंट आदि की व्यवस्था बनाई गई है और इस प्लांट पर ही मशीन पर माल तैयार कर कैप्सूल के माध्यम से निर्माण क्षेत्र तक पहुंचाया जाता है, इसलिए यहां हजारों क्यूबिक निर्माण सामग्री भंडारण स्थल पर पड़ा हुआ है, जबकि खबर है कि उक्त भंडारण में किया गया रेत का ढेर चोरी की रेत है और उसके बदले में रेत के ठेकेदार से सिर्फ कुछ टीपी लेकर दिखावे के लिए उपयोग किया जा रहा है।
राजस्व का हो रहा नुकसान :
रेल प्रशासन देश की रीढ़ की हड्डी है, जिस पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है और इसी विभाग के ठेकेदार द्वारा लाखों रुपए की हेराफेरी की जा रही है, यह समझ से परे है कि रेलवे के किसी भी कार्य को करने वाले ठेकेदार या जानने वाले लोगों के संज्ञान में रहता है कि इस विभाग में कमीशन खोरी या अन्य प्रकार की दलाली नहीं होती है, लेकिन तीसरी लाइन के विस्तार में बनने वाले पुल निर्माण कार्य पर चोरी के रेत से पूरा निर्माण कार्य किये जाने की चर्चा है, जहां पर लाखों रुपए की रायल्टी पर्ची चोरी या सरल भाषा में कहें तो राजस्व का नुकसान किया जा रहा है। खबर तो यह भी है कि रेलवे के बड़े अधिकारियों को इन सब कारनामों की खबर है, लेकिन झांझरिया ग्रुप के मैनेजमेंट अच्छा होने के कारण इस चोरी के रेत पर भी नजर तक नहीं डाल रहे हैं।
प्रतिबंधित क्षेत्रों से पहुंच रहा रेत:
जी हां जिन स्थानों पर पुलियों का निर्माण कार्य किया जा रहा है, उसके आस-पास के समस्त क्षेत्र बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व वनों से घिरे होने के कारण आस-पास के जंगल में रहने वाले नदी नालों पर सख्त प्रतिबंध लगा हुआ है, बावजूद इसके उमरिया क्षेत्र एवं शहडोल संभाग के सक्रिय रेत माफियाओं के द्वारा सैकड़ों ट्रैक्टर और मेटाडोर से लगातार झाझरिया कंपनी को चोरी कर सप्लाई कर रहे हैं। मामले की अगर जांच हो जाये तो, पूरा मामला साफ हो जायेगा।
इनका कहना है :
मुझे कल तक का समय दीजिए, रेत की सप्लाई कौन कर रहा है, यह बताता हूँ।अमित प्रताप सिंह, सुपर वाईजर, घुनघुटी साईड, झांझरिया ग्रुप
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