मध्य प्रदेश, भारत। आज भारत के दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में कुछ प्रजातियों के साथ हो रहे व्यवहार को देखर कर ऐसा प्रतीत होता है कि, मध्य प्रदेश में लोगों में दिल ही नहीं है। क्योंकि, आज मध्य प्रदेश में आदिवासियों की हालत बहुत खराब हो रही है कई मामलों में आदिवासियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। देश में रह रहे नागरिकों की बात हो या फिर बड़े अधिकारियों की आदिवासियों के साथ बुरा बर्ताव होना आम बात हो गई है। केंद्रीय जनजातीय कार्यालय मंत्रालय 2020-21 ने इस बात का खुलासा किया है कि आदिवासियों की स्थिति मध्य प्रदेश में बदतर होती जा रही है।
केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय का खुलासा :
मध्य प्रदेश में आदिवासियों की हालत को लेकर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय की 2020-21 की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि आदिवासियों की हालत काफी खराब हो रही है ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें आदिवासियों को बहुत कुछ झेलना पड़ा है। मदद के नाम पर उन्हें केवल आश्वासन मिलते हैं। लेकिन उनकी मदद कभी नहीं की जाती। इस तरह की दुर्दशा से आदिवासी हर रोज परेशान होते हैं। सीधे शब्दों में कहे तो, आदिवासियों की स्थिति बदतर ही होती जा रही है।
जनजातीय आबादी पर अपराधों में मध्य प्रदेश अव्वल
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जो खुलासा हुआ है उसमें यह साफ झलकता है कि जनजातीय आबादी पर अपराधों के मामले में मध्यप्रदेश देश के पहले पायदान पर है। आदिवासी क्षेत्रों में 2067 उपस्वास्थ्य केंद्र, 263 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, और 101 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की कमी है। जानकारी के लिए बता दें कि, मध्य प्रदेश की कुल आबादी का 21.1 प्रतिशत हिस्सा जनजातीय आबादी से घिरा हुआ है। इसके बावजूद भी आदिवासियों की यह हालत बड़ा मुद्दा है।
अब देखना यह है कि इस तरह के खुलासे के बाद सरकार कब कुछ पहल करेगी और कब आदिवासी परिवारों को उनकी इज्जत और सम्मान वापस मिलेगा।
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