भोपाल, मध्यप्रदेश : प्रदेश सरकार ने जनता की सुरक्षा के लिए आधुनिक होने का निर्णय लिया है। सरकार ने मध्यप्रदेश में कमर्शियल वाहन जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट और खास कर स्कूली बसों में सुरक्षा के लिए पैनिक बटन का ट्रायल शुरू कर दिया हैं। चुने हुए वाहनों की मॉनिटरिंग भोपाल के कोकता में बने स्टेट कंट्रोल एंड कमांड सेंटर द्वारा की जा रही है।
आरटीओ ऑफिस बनाने में आया है 18 करोड़ का खर्च
आरटीओ से पता चला है कि, राजधानी भोपाल जिले के 46 एवं राज्य की 325 वाहनों को मॉनिटरिंग व्हीकल लोकेशन एंड ट्रेकिंग डिवाइस VLTD द्वारा किया जा रहा हैं। भोपाल के आरटीओ ऑफिस बनाने में 18 करोड़ का खर्च आया है। केंद्र सरकार की नोटिफिकेशन के बाद प्रदेश के परिवहन विभाग ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है। VLTD को लगाने का खर्च वाहन मालिकों को साढ़े 14000 हजार का पड़ रहा है। प्रदेश की 4 कंपनियों को डिवाइस लगाने का काम दिया गया है। हालांकि डिवाइस की कीमत को कम करने के लिए सरकार और भी कंपनियों को इस डिवाइस को वाहन में लगाने का कार्य दे सकती हैं जिससे डिवाइस 9000 रुपए तक सस्ता हो सकता हैं।
केंद्र सरकार के परिवहन विभाग की नोटिफेक्शन के अनुसार अप्रैल 2023 तक सिर्फ उन्ही कमर्शियल वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट मिलेगा जिनमे VLTD और पैनिक बटन लगा हों, VLTD डिवाइस के कई फायदे बताए जा दे है की वाहनों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा,महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और सुद्धरीन होगी और सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट गाड़ियों की निगरानी की जा सकेगी। परिवहन विभाग ने तय समय पर सिस्टम को शुरू करने के आदेश दिए हैं। परिवहन विभाग के अनुसार पैनिक बटन का प्रशिक्षण हो चुका है लेकिन अभी ज्यादा व्यवस्था न होने के कारण अभी इसे पूरे रूप से चालू नही किया जा रहा हैं, इस सिस्टम में अभी बहुत सुधार होना बाकी है। स्कूल बस संचालकों के प्रतिनिधि मंडल ने इस सिस्टम को बस में इंस्टॉल करने के लिए व्यवस्था ठीक होने तक 4 महीने का वक्त मांगा हैं।
अभी फिलहाल सार्वजनिक बस संचालकों के द्वारा VET उपकरणों को बसों में लगाने में भी कठिनाई हो रही है जिसके लिए उन्होंने परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव सेज किदवई से बात की है। अभी तो वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र का नवीनीकरण भी सही रूप से नही हो पाया है।अभी सरकार का टारगेट सिर्फ कमर्शियल वाहन जैसे स्कूल बस और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बनाया है। सबसे ज्यादा ज़ोर स्कूल बस पर दिया जा रहा हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाओं की सुरक्षा को मद्देनजर रखा है। पैनिक बटन लगाने की घोषणा 2018 में हुई थी लेकिन केंद्र सरकार के परिवहन मंत्रालय सहित अन्य विभागो द्वारा औपचारिकताएं पूरी करने में ही सालो लग गए।
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