आज प्रो. सतीश धवन और दीनदयाल उपाध्याय की जयंती Social Media
मध्य प्रदेश

आज प्रो. सतीश धवन और दीनदयाल उपाध्याय की जयंती, मुख्यमंत्री ने किया श्रद्धापूर्वक नमन

मध्यप्रदेश। प्रो. सतीश धवन और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती है, इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें नमन किया है।

Priyanka Yadav

मध्यप्रदेश। महान भारतीय रॉकेट वैज्ञानिक तथा ‘इसरो’ के पूर्व अध्यक्ष पद्म विभूषण प्रो. सतीश धवन (Satish Dhawan) और प्रखर राष्ट्रवादी, उत्कृष्ट संगठनकर्ता, अन्त्योदय एवं एकात्म मानववाद के प्रणेता, हमारे पथ प्रदर्शक पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Deendayal Upadhyaya) की जयंती है, आज के दिन ही इनका जन्म हुआ था। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें नमन किया है।

प्रो. सतीश धवन की जयंती पर सीएम ने किया सादर नमन-

प्रो. सतीश धवन की जयंती पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा- पद्म विभूषण से सम्मानित देश के महान वैज्ञानिक सतीश धवन जी की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयां प्रदान करने में दिए गए योगदान के लिए आपका सदैव स्मरण किया जाएगा।

दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर सीएम ने किया सादर नमन

दीनदयाल उपाध्याय (Deendayal Upadhyaya) की जयंती पर मुख्यमंत्री ने कहा कि, मानवीय और राष्ट्रीय दोनों तरह से, आवश्यक हो गया है कि हम भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों के बारे में सोचें- पं. दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद के प्रणेता,राष्ट्र उत्थान के लिए संपूर्ण जीवन समर्पित कर देने वाले,श्रद्धेय दीनदयाल जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन।

भारतीय जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष, प्रखर राष्ट्रभक्त, चिंतक व विचारक श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर शत-शत नमन। एकात्म मानववाद और अंत्योदय की उनकी सीख सदैव हम कार्यकर्ताओं का पथ प्रदर्शन करती रहेंगी।
नरोत्तम मिश्रा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे पण्डित दीनदयाल

बता दें, पण्डित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।

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