हाइलाइट्स –
MP-09 नंबर को गुडबाय!
INDORE में सीरीज कोटा खत्म!
टू-व्हीलर्स के लिए इंदौर में बनी स्थिति!
राज एक्सप्रेस (Raj Express)। मध्य प्रदेश की औद्योगिक एवं व्यावसायिक राजधानी में दोपहिया वाहन की खास पहचान रजिस्ट्रेशन कोड सीरीज पर ब्रेक लगने वाला है। जिला की पहचान रहा 'MP-09' कोड अब बतौर दोपहिया वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर; वाहन खरीदार को प्रदान नहीं किया जाएगा।
वजह -
दोपहिया श्रेणी में 'एमपी-09' (MP-09) कोड सीरीज का कोटा समाप्त होने से यह स्थिति बनी है। दरअसल इस पुराने कोड के साथ वाहन पंजीकरण संख्या MP-09 की वर्णमाला श्रृंखला समाप्त होने वाली है, जिससे यह बदलाव करना होगा।
इस जरूरत ने क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को बतौर पूर्व तैयारी विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित किया है।
इंदौरी MP-09 का इतिहास -
इंदौरी नमकीन की ही तरह इंदौर जिले का वाहन पंजीकरण नंबर MP-09 भी खास पहचान रखता है। देश-प्रदेश में इस वाहन संख्या की गाड़ियां विशेष पहचान रखती हैं। एमपी जीरो नाइन (MP-09) कोड को ऐसे समझा जा सकता है।
इसमें एमपी जहां भारत के राज्य मध्य प्रदेश को दर्शाता है; वहीं इसके साथ संयुक्त रूप से दर्ज 09 अंक प्रदेश में इंदौर जिले की अनुक्रम संख्या है।
वाहन पंजीकरण प्रक्रिया 1989 में प्रकाश में आई। जिसके आधार पर इंदौर के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय द्वारा वाहनों को पंजीकरण संख्या आवंटित की गई थी।
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वाहनों की श्रेणियां -
वाहनों की संख्या बढ़ने पर परिवहन विभाग ने वाहनों के आधार पर श्रेणी विभाजन किया। इसमें चार पहिया, मोटर साइकिल, स्कूटर, ट्रक, टैक्सी, यात्री वाहनों आदि के लिए अलग-अलग श्रेणियां विभाजित की गईं। इन श्रेणियों के आधार पर वाहनों के लिए MP-09 कोड में अलग-अलग नंबर देने के लिए वर्णमाला श्रृंखला शुरू की गई।
विकल्प की तलाश -
परिवहन विभाग अब दो पहिया वाहनों की वाहन पंजीकरण कोड श्रृंखला का कोटा खत्म होने के कारण वैकल्पिक कोड या वर्णमाला श्रृंखला पर विचार कर रहा है। इसके तहत नया पैटर्न पेश करने की भी योजना है।
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इन पर नजर -
एक विशेष ट्रिपल वर्णमाला श्रृंखला या 'MP-09' के समान एक नया कोड जैसे 'MP-99' या 'MP-90' भी इस स्थिति में विकल्प के रूप में काम कर सकता है। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय विभाग मुख्यालय ही लेगा।
शहर के कुछ जनप्रतिनिधियों ने भी इस संबध में अधिकारियों को पत्र लिख कर अपना सुझाव दिया है।
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वाहन पंजीकरण स्थिति -
इंदौर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ/RTO) में पंजीकृत वाहनों की दैनिक संख्या 600 से अधिक है। इसमें लगभग 300 दोपहिया वाहन शामिल हैं, जबकि शेष संख्या चौपहिया, वाणिज्यिक, कृषि, यात्री वाहन आदि की है।
एक माह में कोटा फुल! -
विभाग के मुताबिक दोपहिया श्रेणी के तहत किसी भी वर्णमाला श्रृंखला में पंजीकरण संख्या एक महीने के भीतर बिक जाती है।
“मौजूदा श्रृंखला समाप्त होने के बाद हम पंजीकरण संख्या के लिए वैकल्पिक कोड या श्रृंखला की तलाश करेंगे। इस विषय पर विभाग मुख्यालय से चर्चा की जा रही है। विभाग के निर्देशानुसार निर्णय लिया जाएगा।"अर्चना मिश्रा, सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, इंदौर आरटीओ (RTO)
MP-09 XF -
इंदौर आरटीओ (RTO) की सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने मीडिया को बताया कि दोपहिया वाहनों के लिए 'एक्सएफ' (XF) की अंतिम वर्णमाला श्रृंखला के तहत वाहन पंजीकरण संख्या प्रदान की जा रही है। मतलब अभी MP-09 XF श्रृंखला के तहत टू-व्हीलर्स का पंजीकरण किया जा रहा है।
नए वाहनों की नई पहचान -
मतलब इंदौर में नए टू-व्हीलर्स खरीदने वालों को अब MP 09 सीरीज के तहत पंजीकृत नहीं किया जा सकेगा। ऐसे में खरीदारों को एमपी-09 की जगह नया विकल्प प्रदान किया जा सकता है।
32 साल पहले मिली पहचान -
गौरतलब है कि इंदौर को लगभग 32 साल पहले एमपी-09 की सीरीज आवंटित हुई थी। इंदौर में पंजीकृत होने वाले दो पहिया वाहनों की 1989 से जारी सीरीज एमपी-09 के अल्फाबेट्स के विकल्प अब समाप्त हो रहे हैं।
यह स्थिति खास तौर पर बाइक श्रेणी में उपजी है। अधिकारियों ने इसके समाधान के लिए ग्वालियर मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगा है।
अल्फाबेट सीरीज -
पिछले रिकॉर्ड्स के मुताबिक 32 साल पहले इंदौर को एमपी-09 की सीरीज आवंटित की गई थी। इसमें पहले की व्यवस्था के अनुसार नंबर दिए जाते थे। बाद में वाहनों की कैटेगरी के अनुसार अल्फाबेट (A-Z) के साथ सीरीज दी जाने लगी।
इससे कार, मोटर साइकिल, स्कूटर, मिनी बस, भारी वाहनों के लिए भी अलग-अलग अल्फाबेट सीरीज हो गई।
आसपास के जिले के खरीदार –
देवास, शाजापुर जैसे नजदीकी जिलों के ग्राहक भी अक्सर इंदौर के डीलर्स से वाहन खरीदना पसंद करते हैं। जिले के अलावा दूसरे जिलों के ग्राहकों का रुझान इंदौर में होने कारण यहां अधिक वाहन बिकते हैं।
इससे भी वाहन पंजीकरण सीरीज जल्द खत्म हो जाती है। रिकॉर्ड्स के मुताबिक कोरोना महामारी के पहले तक इंदौर आरटीओ में रोजाना तीन सैकड़ा से अधिक दो पहिया वाहन पंजीकृत हो जाते थे।
डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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