ग्वालियर। बच्ची को आए बलाओं से बचाने के लिए उसके माता-पिता ने ताबीज वाला चाकू उसके गले में पहना दिया। बच्ची ने खेलते-खेलते में उस चाकू को निगल लिया। जब बच्ची द्वारा चाकू निगलने की बात उसके माता-पिता को लगी तो वह फोरन नजदीकी अस्पताल में पहुंचे और डॉक्टर्स की सलाह ली। वहां के डॉक्टरों ने बच्ची को ग्वालियर के लिए रैफर कर दिया। यहां एक निजी अस्पताल में बच्ची के पेट और आंत के बीच फसे चाकू को डॉक्टर्स ने एंडोस्कॉपी की सहायता से बाहर निकाल दिया।
कम्पू स्थित हॉस्पिटल के डॉ.अजय उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि एक शिवपुरी निवासी 18 महीने की बच्ची ने ताबीज के रूप में इस्तेमाल होने वाले चाकू को निगल लिया था। वहां के चिकित्सकों ने इलाज के लिए उसे ग्वालियर रेफर किया। बच्ची के माता-पिता उसे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। यहां उसके माता पिता ने डॉ.अजय उपाध्याय को बताया कि बच्ची ने दोपहर को करीब 3.30 बजे ताबीज वाला चाकू निगल लिया है। यह सुनते ही डॉ.उपाध्याय ने बच्ची के पेट का एक्सरे करवाया तो पता पड़ा की एक धारदार चाकू जैसे चीज जो की खुली हुई है और आंत और पेट के बीच में फसी हुई है। एक्सरे देख कर डॉक्टर उपाध्याय ने तुरंत ऑपरेशन करने की सलाह दी । करीब 8 बजे बच्ची का ऑपरेशन चालू किया। ऑपरेशन उपाध्याय हॉस्पिटल के डॉ.आरके गुप्ता, एंडोस्कोपिस्ट, पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. अजय उपाध्याय व एनेस्थेसिया डॉ. दिनेश भोरे ने एक घंटे की मस्कत के बाद वह चाकू बाहर निकाल लिया।
आंतो में हो सकता था छेद
डॉ.अजय उपाध्याय ने बताया कि बच्ची के ड्योडेनम में वह ताबीज रूपी चाकू फसा हुआ था। खतरा यह था की पिन का नुकीला निसा खुला हुआ था जो की कही भी आंतो में छेद कर सकता था। इससे बच्ची की हालत बिगड़ सकती थी। इस बात को ध्यान में रखकर तुरंत ऑपरेशन किया और यह ऑपरेशन दूरबीन पद्धति से किया गया। इसलिए बच्ची के शरीर मैं कोई भी चीरा नही लगा ।
इनका कहना है
अगर ऑपरेशन आधा घंटा भी लेट हो जाता तो वह ताबिज रूपी चाकू आंतो मेंं चला जाता और उस स्थिति मेंं बच्ची के पेट मेंं चीरा लगा कर बड़ा ऑपरेशन ही करना पड़ता । ऑपरेशन के बाद बच्ची पूर्ण रूप से स्वस्थ है और सब खा पी रही है । बच्ची को जल्द ही छूटी दे दी जाएगी ।
डॉ.अजय उपाध्याय, संचालक उपाध्याय हॉस्पिटल
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