शहरी परिवहन सेवा के हाल बेहाल RE Gwalior
मध्य प्रदेश

शहरी परिवहन सेवा के हाल बेहाल, शहर मे ई रिक्शा की भरमार, रूट को लेकर कोई गंभीर नहीं

शहर में जिस तरह की वारदाते होती है उसमें कई बार ऑटो चालक भी शामिल होते रहे है ओर रात के समय भी ऑटो का संचालन किया जाता है जिससे ऑटो चालक का पुलिस वैरिफिकेशन होना जरूरी है

Pradeep Tomar

ग्वालियर। शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर कई बार मंत्रियों से लेकर प्रशासन के अधिकारी तक बैठक ले चुके है ओर उन बैठको के बाद शहर के अंदर कई प्रयोग भी किए गए, लेकिन हालत यह है कि तमाम प्रयोग भी असफल साबित हुए. इसके पीछे कारण यह है कि शहरी परिवहन सेवा मे जिस तरह से टेंपो से लेकर ऑटो व ई रिक्शाओ की संख्या में इजाफा होता जा रहा है उससे चौड़़ी रोड़ भी सकरी नजर आने लगी है ओर हर रास्ते पर जाम से होकर ही लोगों को अपना सफर पूरी करने के  लिए मजबूर होना पड़़ रहा है।

शहर में अभी तक टेंपो की संख्या तो सीमित थी, लेकिन उस सीमित संख्या के बाद भी टेंपो जो रूट निर्धारित किया गया है उस पर संचालित नहीं हो रहे है जिसके कारण कुछ रूटो पर टेंपो की संचालन होने से जाम का नजारा लगना आम बात हो गई है। वैसे रूट तो परिवहन विभाग निर्धारित करता है, लेकिन उक्त वाहन तय रूट पर संचालित हो रहे है कि नहीं इसको लेकर आरटीओ द्वारा कभी कभार ही चैकिंग की जाती है, जिसके कारण दो दिन छोड़कर फि र टैंपो उन्ही रूटो पर चलने लगते है जो उनके लिए लाभकारी है।

वैसे टैंपो के रूट को देखने की जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस की बनती है, लेकिन वह सिर्फ दो पहिया वाहनो की चैकिंग कर पर्ची काटने में व्यस्त रहते है। अब यह बात तो सिर्फ  टैंपो की हुई, लेकिन जिस तादात में ऑटो व ई रिक्शाओ की संख्या बढ़ती जा रही है उससे शहर की सड़को की चाल काभी बेदम साबित हो रही है। हालात यह है कि जिसके पास कोई काम नही है वह ई रिक्शाओ का संचालन कर रहा है ओर उनको किस रूट पर चलना चाहिए इसको देखने की भी फुर्सत भी किसी को नहीं है। आरटीओ विभाग सिर्फ रजिस्ट्रेशन फीस वसूल करने का काम कर रहा है जबकि ट्रैफिक पुलिस कर रही है यह किसी से छिपा नहीं है।

ऑटो चालको का पुलिल वैरीफिकेशन भी नहीं...

शहर में जिस तरह की वारदाते होती है उसमें कई बार ऑटो चालक भी शामिल होते रहे है ओर रात के समय भी ऑटो का संचालन किया जाता है जिससे ऑटो चालक का पुलिस वैरिफिकेशन होना जरूरी है, लेकिन अधिकांश ऑटो चालक तो ऐसे है जिनकी आयु भी ड्राईविंग लायसेंस बनवाने की नहीं है तो फिर पुलिस वैरिफिकेशन का सवाल ही कहा से आया। अब यह ऐसे सवाल है जिनका  जवाब किसी घटना के होने के बाद पुलिस अधिकारियो से पूछे जा सकते है, लेकिन अभी अधिकारी इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रहे है।

संख्या दिनो दिन बढ़ती जा रही..

ई रिक्शाओ की संख्या शहर में दिनो दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन उनको किस रूट पर संचालित करना है इसका कोई निर्धारण नहीं किया जा रहा है। वर्तमान में ई रिक्शाओ की संख्या करीब 5200 है ओर यह थमने की जगह बढ़ती जा रही है, जिसके कारण शहर में सड़को की चाल बिगड़़ती जा रही है ओर आम जन जाम के कारण हर रोज परेशान हो रहे है।

जिस संख्या में ई रिक्शाओ का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है उसके बाद भी आरटीओ विभाग यह नहीं समझ पा रहा है कि इनकी संख्या बढ़ने से शहर में क्या हालात होगें? वैसे शहरी परिवहन सेवा में संचालित वाहनो के लिए रूट का निर्धारण करना आरटीओ का काम है जिससे सड़को की चाल बिगड़ न सके, लेकिन ऐसा न होकर कुछ सड़को पर ही ई रिक्शाओ व ऑटो का संचालन हो रहा है। वैसे शहर की ट्रैफिक सुधार के लिए करोड़ो की राशि खर्च कर एलीवेटिड रोड़ सहित तमाम काम किए जा रहे है, लेकिन सवाल यह है कि जब वाहनो का संचालन ही मार्ग के हिसाब से नहीं होगा तो फिर ट्रैफिक सुधार कैसे होगा?

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