नर्सिंग कांड में लिप्त दागी डीआर के पास अभी भी परीक्षा व गोपनीय का प्रभार Social Media
मध्य प्रदेश

Gwalior : नर्सिंग कांड में लिप्त दागी डीआर के पास अभी भी परीक्षा व गोपनीय का प्रभार

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : कुलपति ने अपनी रिपोर्ट में डीआर और एआर को ठहाराया था जिम्मेदार। वीसी की रिपोर्ट पर दोनों में से एक पर भी नहीं हुई कार्रवाई।

Author : राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जीवाजी विश्वविद्यालय में हुए बीएससी नर्सिंग कांड में लिप्त दागी डीआर और एआर पाक साफ बनकर नवयुक्ति कुलसचिव को साधने में जुटे हुए हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं उनसे दो महत्वपूर्ण विभाग न छिन जाएं। डीआर और एआर को बीएससी नर्सिंग कांड के लिए कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला ने भी जिम्मेदार माना था। उसके बाद भी उनसे प्रभार नहीं छिने गए। इससे उनके हौंसले अब और बुलंद होते जा रहे हैं।

जेयू में हुए बीएससी नर्सिंग कांड को अधिकारी व कर्मचारियों की मिली भगत से अंजाम दिया गया था। फर्जी मार्कशीट असली रहे, उसको लेकर गोपनीय व परीक्षा विभाग के टेबुलेशन चार्ट के पन्ने बदल दिए गए और उनकी बाइंडिंग भी करा दी। विद्यार्थियों के जो सुधार के आवेदन आए थे, उनमें दस्तावेज अधूरे लिए गए। नर्सिंग कांड के दौरान मेडीकल सेल में भारी भीड़ रही है, लेकिन सीसीटीवी के साक्ष्यों को मिटा दिया गया। जेयू की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी नेे जांच में इस तरह के कई खुलासे किए थे। इसके लिए कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला ने उपकुलसचिव डॉ.राजीव मिश्रा और एआर अमित सिसोदिया को जिम्मेदार माना था। उसके बाद भी इन दिनों अधिकारियों में से किसी पर भी कार्रवाई नहीं की गई। इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने वालों को विवि ने गोपनीय और परीक्षा का प्रभार और सौंप दिया। इससे विवि के अधिकारियों की मंशा स्पष्ट होती है।

नाम सार्वजनिक तो एफआईआर अज्ञात के खिलाफ क्यों?

जीविवि के अफसरों ने छात्र नेताओं और कुछ कार्य परिषद सदस्यों को जवाब देने से बचने के लिए विवि थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। लेकिन यह एफआईआर नामजद दर्ज ना करते हुए अज्ञात के खिलाफ कराई गई। जबकि विवि के अधिकारियों को पता था इस फर्जीवाड़े को अंजाम किन दो अधिकारियों ने दिया था।

ईसी मेम्बर ने किया था खुलासा :

कार्य परिषद सदस्य अनूप अग्रवाल ने अक्टूबर 2020 में नर्सिंग कांड का खुलासा किया था। बीएससी नर्सिंग चतुर्थ वर्ष 2019 के फेल विद्यार्थियों को विश्वविद्याल से पास की मार्कशीट जारी की गई। इस खुलासे के बाद जेयू ने पांच सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने पूरा रिकार्ड जब्त किया। रिकार्ड के आधार पर जांच की और संबंधित कर्मचारियों के बयान भी लिए। कमेटी ने अंतिम निष्कर्ष में स्पष्ट कर दिया कि इसमें गलत मार्कशीट जारी की गई हैं।

यह सवाल मांग रहे जवाब :

  • क्या दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी?

  • क्या दोनों अधिकारियों के प्रभार छिने जाएंगे?

  • क्या पुलिस में इन दिनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया जाएगा?

  • आखिर क्यों साधी छात्र संगठन ने चुप्पी?

  • छात्र हित में मांग उठाने वाले कहां गए छात्र नेता?

इनका कहना :

छात्रों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना मेरी पहली प्राथमिकता है। यदि कोई गड़बड़ी करता है तो उसे उसका परिणाम भी भुगतना होगा। रही फेरबदल की बात तो योजना बनाकर फेरबदल किया जाएगा।
डॉ. सुशील मंडेरिया, कुलसचिव, जीविवि

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