बाघ शावक की मौत Social Media
मध्य प्रदेश

उमरिया: वर्चस्व की लड़ाई में बाघ शावक की मौत

उमरिया, मध्यप्रदेश: राष्ट्रीय उद्यान में एक बाघ शावक के मरने की खबर है, संयुक्त संचालक अनिल शुक्ला ने बताया कि रविवार 21 सितम्बर को बाघ शावक का शव मिला है

Author : Afsar Khan

राज एक्सप्रेस। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में एक बाघ शावक के मरने की खबर है, संयुक्त संचालक अनिल शुक्ला ने बताया कि रविवार 21 सितम्बर को बाघ शावक का शव मिला है, श्री शुक्ला ने बताया कि बाघ शावक टी-24 के तीन शावक थे, 2 बच्चे मां से जा मिले और 4 माह का बाघ शावक शेर के सामने आ गया, बड़े बाघ ने शावक के मुंह को चबा लिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

संयुक्त संचालक ने बताया :

श्री शुक्ला ने बताया कि, खितौली रेंज केडोभा में मृत शावक का अवशेष 21 सितम्बर को मिला था, शरीर की कुछ हड्डियां तथा मांस ही बरामद हो सका, शव का पीएम कराकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है, श्री शुक्ला ने बताया कि दो शावक सुरक्षित है,जिनकी निगरानी की जा रही है।

6 माह से बजट की किल्लत :

8 सालों बाद मध्यप्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा प्राप्त हुआ, जिसमें बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व का अहम योगदान रहा, देश भर के टाईगर रिजर्वस की संयुक्त गणना में पाये गये बाघों में बांधवगढ़ ने पहला स्थान हासिल किया, लेकिन बीते 6 महीनों से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने हर साल बाघों के संरक्षण में मिलने वाले बजट को जारी नहीं किया। जिससे बाघों की सुरक्षा, दवाईयों में खर्च होने वाली राशि के लिए दिक्कतों का सामना पार्क के अधिकारियों को करना पड़ रहा है। अप्रैल से लेकर सितम्बर तक पार्क के अधिकारी एनटीसीए से पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन बजट आवंटन केन्द्र के द्वारा नहीं किया जा रहा है।

110 से अधिक बाघ :

बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व 1536 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ क्षेत्र शामिल है, जिसमें 694 वर्ग किलोमीटर कोर और 842 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बफर के दायरे में आता है, वर्तमान में बांधवगढ़ में 110 से अधिक बाघ मौजूद हैं, एनटीसीए से बजट न मिलने के चलते पार्क के अधिकारी इनके भोजन, इलाज सहित अन्य व्यवस्थाओं को लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं।

पर्यावरण विदों का कहना है कि :

जिस तरीके से पार्क में बाघों की मौतों का सिलसिला चल निकला है, इसके पीछे कहीं न कहीं क्षेत्रफल में कमी एक कारण है, दिनों दिन पार्क का क्षेत्रफल घटता जा रहा है, जिससे आये दिन बाघों की मौत का सिलसिला चल रहा है। खबर है कि मप्र को टाईगर स्टेट का दर्जा मिलने के साथ ही बांधवगढ़ में बाघों के मरने का सिलसिला जारी है, पिछले एक महीने में ही पार्क में करीब आधा दर्जन से अधिक बाघों की मौत हो चुकी है।

उमरिया: बजट के संकट से जूझ रहे बांधवगढ़ के बाघ

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