सीपीआर प्रशिक्षण आयोजित किया गया RE
मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश पुलिस की ऐसी पहल, जिससे बचाई जा सकती है लोगों की जान

पुलिस विभाग द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सीपीआर प्रशिक्षण आयोजित किया गया। भोपाल में पुलिस लाइन परिसर में डीजीपी सुधीर सक्सेना ने प्रथम प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण लिया।

Author : Shravan Mavai

मध्यप्रदेश,भोपाल। पुलिस की एक पहल से अब कई लोगो की जान बचाई जा सकेंगी। इस पहल ने पुलिसकर्मियों को जन सेवा करने का सही अवसर प्रदान किया है। पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना की सकारत्मक सोच ने विभाग में पदस्थ 22 हजार पुलिसकमियों को सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देने का प्रशिक्षण देकर उन्हें लोगो की जान बचाने के लिए तैयार कर दिया है। डीजीपी श्री सक्सेना ने भी सीपीआर देने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। अब से पहले कभी भी इतने बड़े स्तर पर सीपीआर प्रशिक्षण नहीं दिया गया है।

दरअसल, पुलिस विभाग द्वारा नवाचार करते हुए शनिवार भी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पहली बार व्यापक स्तर पर सीपीआर प्रशिक्षण आयोजित किया गया। भोपाल में नेहरू नगर स्थित पुलिस लाइन परिसर में सीपीआर प्रशिक्षण दिया गया। डीजीपी सुधीर सक्सेना ने प्रथम प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण लिया। डीजीपी को प्रशिक्षण रेडक्रॉस के डॉ. एसके शर्मा ने दिया।

पुलिस का पहला काम ही जनरक्षा -डीजीपी

पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा कि सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) का सही ज्ञान और सही समय पर प्रयोग से मरीजों की जीवन रक्षा की जा सकती है। यदि किसी व्यक्ति की हृदय गति रुक जाए तो अस्पताल पहुंचने के दौरान सीपीआर जीवन रक्षक की तरह काम करती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण 29 जनवरी को भोपाल के ओल्ड कैंपियन मैदान पर देखने को मिला, जब अन्य साथियों के साथ क्रिकेट खेल रहे रक्षित निरीक्षक दीपक पाटिल को अचानक हार्ट अटैक आने पर वहां उपस्थित पुलिसकर्मियों ने उन्हें तत्काल सीपीआर देकर उनकी जान बचाई। इसी घटनाक्रम से प्रेरणा लेकर मैंने प्रत्येक पुलिसकर्मी और उनके परिजन को सीपीआर प्रशिक्षण देना तय किया है।

क्या है सीपीआर, क्यों है इसकी महत्ता

सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) एक बहुत महत्वपूर्ण प्रारंभिक उपचार प्रक्रिया है। हृदय गति रुक जाने पर इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचती है, जिससे हृदय गति पुन: शुरू हो सकती है। सीपीआर के प्रयोग से हार्ट अटैक आने पर, हाइपोवॉल्मिक शॉक होने पर, बेहोश होने, बिजली का झटका लगने पर या कमजोर दिल वाले व्यक्ति को बचाया जा सकता है।

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