कमरे में बंद स्ट्रेचर RE Gwalior
मध्य प्रदेश

कमरे में बंद स्ट्रेचर, हजार बिस्तर अस्पताल में मरीजों को नहीं मिल रहे स्ट्रेचर-व्हीलचेयर

जयारोग्य अस्पताल की माधव डिस्पेंसरी के कक्ष क्रमांक 11 में अब स्ट्रेचर कैद हैं। इधर, हजार बिस्तर अस्पताल ओपीडी में आने वाले अधिकांश मरीजों को स्ट्रेचर-व्हीलचेयर नहीं मिल रहे।

Manish Sharma

ग्वालियर। प्रबंधक महोदय ! शासन ने अस्पताल को स्ट्रेचर-व्हीलचेयर मरीजों की सुविधा के लिए दिये हैं। इन्हें कमरे में कैद करके मरीजों की और मुश्बित नहीं बढ़ाओं। क्योंकि, हजार बिस्तर अस्प्ताल इतना बड़ा है कि मरीज को गोद में उठाकर ले जाने वाला ही आधा बीमार हो जाता है। इस पर प्रबंधन का तर्क है कि मरीज या उसके परिजन स्ट्रेचर का उपयोग करने के बाद कहीं भी छोड़ देते हैं। इससे अन्य मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

जयारोग्य अस्पताल की माधव डिस्पेंसरी के कक्ष क्रमांक 11 में जहां पहले सर्जरी की ओपीडी संचालित होती थी। उस कक्ष में अब स्ट्रेचर कैद हैं। इधर, हजार बिस्तर अस्पताल में ओपीडी संचालित हो रही है। ओपीडी में आने वाले अधिकांश मरीजों को स्ट्रेचर-व्हीलचेयर नहीं मिल रहे। इस वजह से मजबूरी में उन्हें अपने मरीज को गोद में उठाकर ओपीडी, जांच या भर्ती कराने के लिए लेकर जाना पड़ रहा है। प्रबंधन के आलाधिकारी यह दृश्य कई बार अपनी आंखों से देख चुके हंै और प्रतिदिन देख भी रहे हैं। उसके बाद भी यहां कोई व्यवस्था नहीं की जा रही। शुक्रवार को ओपीडी में उपचार लेने के बाद जब चिकित्सक ने मरीज की जांच कराने की सलाह दी तो मानों परिजनों की तो जान ही निकल गई। क्योंकि, काफी मशक्कत करने के बाद पर्चा बना फिर गोद में उठाकर मरीज को संबंधित चिकित्सक के ओपीडी कक्ष में लेकर पहुंचे और वहां से फिर जांच कराने के लिए डॉक्टर्स ने सलाह जो दे दी। 

इस पर प्रबंधन का तर्क है कि मरीज या उसके परिजन स्ट्रेचर का उपयोग करने के बाद कहीं भी छोड़ देते हैं। इससे अन्य मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। हमारे पास स्टाफ की भी कमी है, इस वजह से स्ट्रेचरों को एकत्रित करने में भी हमें परेशानी का सामना करना पड़ता है। जो स्टे्रचर कमरे में रखे हैं वह भविष्य में किसी दुर्घटना में अधिक संख्या में घायल होकर आने वाले मरीजों के लिए रिजर्व करके रखे रहते हैं। इससे कि उस वक्त परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। 

माधव डिस्पेंसरी में भी था यही हाल-

माधव डिस्पेंसरी की ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी स्ट्रेचर-व्हीलचेयर नसीब नहीं होते थे। उस समय भी मरीजों के परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। वही हाल अब यहां देखने को मिल रहा है।  

आखिर क्यों नहीं मिल रही स्टाफ की स्वीकृति 

कॉलेज-अस्पताल प्रबंधन कई बार शासन को स्टाफ की मांग को लेकर पत्र लिख चुका है। उसके बाद भी शासन की ओर से स्टाफ की भर्ती की स्वीकृति नहीं मिल रही है। आखिर स्वीकृति न मिलने के पीछे कारण क्या है यह तो शासन के आलाधिकारी ही जानें? 

यह सवाल मांग रहे जवाब

- क्या दुरूस्त होगी स्ट्रेचर-व्हीलचेयर की व्यवस्था? 

- क्या हजार बिस्तर अस्पताल में भी स्ट्रेचर-व्हीलचेयर के लिए होना पड़ेगा परेशान ?

- क्या बंद कमरे में रखे स्ट्रेचर आयेंगे बाहर? 

इनका कहना है

हां, मेरी जानकारी मैं हैं वह स्ट्रेचर। वह जल्दी टूट रहे हैं। इसलिए उन्हें रखवा दिया है। मैनपवार अभी तक हमें मिला नहीं है हम बेहतर से बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं। 

डॉ.आरकेएस धाकड़, अधीक्षक , जयारोग्य चिक्त्सिालय समूह

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