परिवहन विभाग में खेल निराला Social Media
मध्य प्रदेश

ग्वालियर : परिवहन विभाग में खेल निराला

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : अनुकंपा नियुक्ति से बना सिपाही, चेकपोस्ट के ले रहा ठेका। परिवहन निरीक्षक से अपने हिसाब से कराता है काम। ऊपर तक पहुंच का दम दिखाकर खेल रहा ठेके का खेल।

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। परिवहन विभाग एक ऐसा विभाग है जिसमें चालक भी चेकपोस्ट का प्रभारी बन सकता है ओर ऐसा होता भी रहा है। अब अगर कोई आरक्षक ठेके लेकर विभाग के चेकपोस्टों का संचालन कर रहा है तो फिर उसमें बुराई कोई नजर नहीं आती, लेकिन जब बड़े अधिकारी बैठे हो और उनके अधीनस्थ ठेके लेकर बड़ों को अपने हिसाब से संचालित करा रहे हो तो कुछ अजीब लगता है, लेकिन ऐसा परिवहन विभाग में काफी समय से हो रहा है। अब ठेका प्रणाली को समाप्त करने की चुनौती जरूर नए परिवहन आयुक्त के सामने होगी।

विभाग की कार्यप्रणाली ऐसी हो गई है कि यहां जो बोली में आगे रहता है उसको सभी सलाम करते हैं चाहे फिर वह विभाग का प्रमुख ही क्यों न हो। परिवहन निरीक्षक कुछ ऐसे है जो अपने हिसाब से चेपो के ठेके लेकर वहां अपने हिसाब से स्टॉफ रखवाते है ओर फिर अवैध वसूली का खेल इस कदर चलता है कि वहां से कोई अगर शिकायत भी करता है तो उसकी शिकायत को रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है। इसका कारण यह है कि जब ठेका लिया जाता है तो उसमें यह शर्त रखी जाती है कि वहां जो हम करेंगे वहीं सही होगा ओर किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। अब यह तो विभाग के कुछ परिवहन निरीक्षक कर रहे है, लेकिन जब विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के माध्यम से सिपाही बनने वाला चेपो का ठेका लेने लगे तो समझ सकते है कि परिवहन विभाग का खेल कितना निराला है। हालत यह कि विभाग के निरीक्षकों पर कुछ पॉवरफुल सिपाही राज कर रहे हैं ओर उनको अपनी उंगली पर नचाने का काम कर रहे है। अब इस बात से नए परिवहन आयुक्त वाकिफ है कि नहीं यह तो नहीं पता, लेकिन अगर वाकिफ है तो उनके सामने इस तरह की चेन को तोडऩे की सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसके पीछे कारण यह है कि जो आरक्षक चेपो के ठेके लेने का काम कर रहा है वह ऊपर तक पहुंच रखने का दम भरता है ओर उसी दंभ के कारण उसके पास पोस्टिंग तक के लिए कई परिवहन निरीक्षक गुहार लगाते हैं।

जिन्हें करना था फील्ड में काम वह बैठे मुख्यालय में :

विभाग में कई ऐसे परिवहन निरीक्षक है जो बिना काम के मुख्यालय में अपना समय काट रहे है। कारण यह है कि ऐसे निरीक्षक बोली लगाने में सक्षम नहीं है और विभाग में बोली सिस्टम चला आ रहा है। अब इस बोली सिस्टम को नए आयुक्त किस तरह से तोड़ने में सक्षम होते यह देखना होगा। वैसे नए परिवहन आयुक्त ऐसे समय विभाग की कमान संभाली है जब इसी विभाग के एक आयुक्त का वीडियो वायरल होने के बाद छुट्टी कर दी गई थी। ऐसे में जो आयुक्त आए हैं उनके सामने विभाग की छवि सुधारने की सबसे कड़ी चुनौती है और इस चुनौती में अगर वह क दम बढ़ाते है तो रास्ते में कई कांटे भी सामने आ सकते है। हालत यह है जिन्हे फील्ड में काम करना चाहिए वह मुख्यालय में बैठे हुए हैं ओर कुछ आरक्षक चेपो की बोली लगाकर ठेके पर चलाने का काम कर रहे हैं।

व्यवस्था से निरीक्षकों का गिर रहा मनोबल :

विभाग की छवि सुधारने का प्रयास भले ही विभाग प्रमुख ने शुरू कर दिया है, लेकिन उनको जो चेन अभी तक बनती आई है उसे तोडऩे में समय लगेगा, क्योंकि अगर एक साथ चेन तोडऩे का काम किया तो जो लॉबी विभाग में दबाव का खेल खेलती है वह फिर नया खेल शुरू कर सकती है। आरक्षक ठेके पर चेपो चला रहे है जिसके कारण जो निरीक्षक मुख्यालय पर बैठे समय काट रहे हैं उनका मनोबल टूटता जा रहा है, क्योंकि उनकी क्षमता बोली लगाकर चेपो चलाने की नहीं है। अब जब अनुकंपा नियुक्ति से सिपाही बनने वाला विभाग में निरीक्षकों के ऊपर अपना रौब चला सकता है तो समझ सकते है कि विभाग की कार्यप्रणाली क्या होगी और इसमें सुधार होने में कौन कितना दम दिखा सकता है।

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