हाइलाइट्स :
स्टेट मीडिया सेंटर का किया गया शिलान्यास।
स्टेट मीडिया सेंटर का निर्माण 66 हजार 981 वर्गफीट में किया जायेगा।
सीएम ने कहा, पत्रकार स्वतः ही होता है समाज सेवी।
भोपाल, मध्यप्रदेश। भारत के निर्माण में पत्रकारों की स्याही का योगदान नकारा नहीं जा सकता। पत्रकार समाज की अंतिम पंक्ति की वो आवाज हैं जो खबरे बनकर जिम्मेदारों तक पहुंचती है। पत्रकार समाज को मिला वो आश्वासन है जिसके होने से सुनवाई सुनिश्चित है। यह बात भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्टेट मीडिया सेंटर के शिलान्यास कार्यक्रम में कही गई। भोपाल में मल्टी स्टोरी मीडिया सेंटर के निर्माण की घोषणा पिछले दिनों सीएम ने की थी। इसके साथ ही सीएम ने महिला पत्रकारों के लिए फेलोशिप और 70 साल से अधिक उम्र के पत्रकारों के लिए भी महत्वपूर्ण घोषण की।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मत्वपूर्ण घोषणा की:
महिला कल्याण एवं विकास पर माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में 5 महिला पत्रकारों को फेलोशिप दी जाएगी।
छोटे अखबारों को एक महीने के अंतराल में विज्ञापन दिया जाएगा ।
70 साल से ज्यादा उम्र के पत्रकारों को स्थाई अधिमान्यता कार्ड दिया जाएगा।
सीएम चौहान ने शिलान्यास कार्यक्रम में कहा, एक संकल्प साकार हो रहा है...कहने की ताकत, लिखने की हिम्मत, सुनने का संस्कार होना व्यक्तित्व में जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है समाज में पत्रकारों का होना। पत्रकार और पत्रकारिता लोकतंत्र के स्तम्भ कहे जाते हैं। पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, हरी शंकर परसाई की धरती पर मंगलवार को राज्य मीडिया सेंटर का शिलान्यास होने जा रहा है। मंगलवार को सिर्फ पत्रकारिता सेंटर का भूमिपूजन नहीं हो रहा है बल्कि भविष्य के वट वृक्ष बीज रोपा जा रहा है।
पत्रकारिता एक धर्म है, जिसकी आत्मा में समाज सेवा बसता है:
इसके आगे सीएम चौहान ने कहा, पत्रकारों की कलम ने परतंत्रता की बेड़ियाँ तोड़ी है। समाज की कुरीतियों की कड़ियाँ तोड़ी हैं। भारत के निर्माण में पत्रकारों की स्याही का योगदान नकारा नहीं जा सकता। पत्रकार समाज की अंतिम पंक्ति की वो आवाज हैं जो खबरे बनकर जिम्मेदारों तक पहुंचती है। पत्रकार समाज को मिला वो आश्वासन है जिसके होने से सुनवाई सुनिश्चित है। पत्रकार समाज और सरकार के बेच में सेतू होते हैं। पत्रकारिता एक धर्म है, जिसकी आत्मा में समाज सेवा बसता है। पत्रकार स्वतः ही समाज सेवी होता है। जिसमें सामाजिक सरोकार नहीं वो पत्रकार नहीं हो सकता। हमने युद्ध में तपते हुए पत्रकार देखे हैं। महामारी में जान पर खेल खबरे लाते पत्रकार देखे हैं। विपत्तियों में जब सब सभी सुरक्षित स्थान खोजते हैं तो पत्रकार समाधान खोजते हैं।
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