उमरिया, मध्य प्रदेश। आरटीओ कार्यालय सुधरने का नाम नहीं ले रहा है, विभाग लाख दावा करें कि आरटीओ ऑफिस में कोई भी दलाल नहीं है, लेकिन हकीकत यह है कि बिना दलालों के यहां का कोई काम नहीं होता, परिवहन विभाग के बाबूओं की मिलीभगत से दलाल लर्निंग और परमानेंट लाइसेंस, फिटनेस सहित अन्य कार्याे के लिए 8 से 10 गुना फीस वसूल रहे हैं।
आरटीओ कार्यालय में इस समय दलाल पूरी तरह हावी होने का आलम यह है कि यहां विभागीय काम से आए लोगों को खिड़कियों के बाहर घंटों इंतजार करना पड़ता है, फाइलों में छोटी-छोटी कमियां निकाल कर या तो वापस कर दिया जाता है या फिर जनता को अनावश्यक रुप से परेशान किया जाता है। वहीं दलाल विभाग में कार्यरत बाबू की टेबल पर जाकर फटाफट फाइलें ओके करा कर आ जाते हैं, आरोप है कि दलाल लर्निंग लाइसेंस 3000 और परमानेंट लाइसेंस के 6000 लेते हैं, इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आरटीओ कार्यालय पूरी तरह दलालों की गिरफ्त में है।
हर टेबल पर लगता है पैसा :
आरटीओ कार्यालय में हर टेबल का दाम तय है, लाइसेंस के लिए जब आम आदमी आवेदन करके आरटीओ दफ्तर आता है तो, उसे कई कई चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन लाइसेंस नहीं बनता टेस्ट में फेल होने के बाद या अन्य कारणों से उसका लाइसेंस नहीं बन पाता, जिससे उन्हें मजबूरी में दलालों के माध्यम से ही लाइसेंस बनवाने को बाध्य होना पड़ता है, आरटीओ कार्यालय में काम करने वाले एजेंट से पैसों का मोलतोल करो तो उनका कहना होता है यहां हर टेबल पर पैसा देना होता है, यही कारण है कि हर काम के लिए 2 से 3 गुना अधिक राशि लोगों को देनी पड़ती है।
तिकड़ी का खेल :
परिवहन विभाग का आलम यह है कि विभाग की गोपनीय फाइलें दलालों के पास पहुंच रही हैं। इससे महत्वपूर्ण शासकीय अभिलेख कार्यालय से बाहर जाने, गुमने एवं चोरी होने की संभावना अधिक होती है। परिवहन विभाग को इस लापरवाही के चलते कभी भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। सूत्रों की माने तो प्रमोद, उदय के साथ जग्गा यहां लोगों से मनमर्जी के पैसे वसूलने विभाग के मुखिया ने छोड़ रखा है, साहब ने अपना कमीशन कथित लोगों को बता दिया है, उसके बाद यह लोग अपना कमीशन जोड़कर वसूली करने के लिए जिले में चर्चित हो चुके हैं, वहीं मजे की बात यह है कि प्रमोद और उदय विभाग के कर्मचारी न होने के बावजूद बाबुओं के साथ अधिकतर उनके कमरे में कुर्सी के बगल में बैठे नजर आते हैं, इस बात की पुष्टि अगर कार्यालय में कैमरे लगे है और चालू हैं तो, उसमें देखा जा सकता है।
बालाघाट से चल रहा कार्यालय :
परिवहन अधिकारी बालाघाट से कार्यालय संचालित करा रहे, सूत्रों की मानें तो जग्गा चौकीदार फाइलों और रकम लेकर वहीं पर पहुंचा करता है, परिवहन कार्यालय में मानों ऐसा लगता है कि बिना रिश्वत के कर्मचारियों ने कोई काम न करने की कसम खा ली है, परमिट, फिटनेस, पंजीयन, लायसेंस जैसे कार्याे में मोटी रकम की उगाही हुई, विभाग के मुखिया की पदस्थापना से अब तक के कार्याे की जांच की जाये तो, कई ऐसे मामले सामने आयेंगे, जिससे मुखिया खुद नापते नजर आ सकते हैं, लेकिन जिले के परिवहन विभाग में फैले जंगल राज पर लगता है, प्रशासन अंकुश लगाने में नाकाम हैं।
हो सकता था खुलासा :
छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ के कोल व्यवसायी की फर्म ने शासन के राजस्व की चोरी की, इसके अलावा गैर कानूनी तरीके से वाहनों को काटकर कबाडिय़ों के हवाले कर दिया, अगर अधिकारी मौके पर जा कर जांच करते तो, कई बड़े राजों का खुलासा हो सकता था, जिससे शासन को लाखों का राजस्व भी मिल सकता था, इसके अलावा एसईसीएल के अधिकारी भी रडार में आ सकते थे, लेकिन जिम्मेदार मुखिया ने चंद-चांदी के सिक्कों के आगे व्यवसायी के आगे विभाग को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
इनका कहना है :
मेरे पास उमरिया के अलावा बालाघाट का भी प्रभार है, मैनें वरिष्ठ कार्यालय को पूर्व में बताया है कि मुझसे उमरिया नहीं सम्हल पायेगा, 10-12 दिनों में उमरिया कार्यालय आता हूं, प्रमोद और उदय कार्यालय में कोई नहीं है, वसूली के आरोप निराधार हैं।अनिमेष गढ़पाल, परिवहन अधिकारी, उमरिया
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