राज एक्सप्रेस। रंगों का त्योहार होली (Holi 2020) एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला इस पर्व पर उज्जैन के महाकालेश्वर का दरबार रंग में रंग गया, श्रद्धालुओं की बाबा महाकाल के दरबार में धूमधाम रही। सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में होली जली। राजाधिराज महाकाल सोमवार को शयन से पहले और भस्मी रमाने के बाद भक्तों के संग होली खेली। इसके अलावा सिंहपुरी में कंडों की प्राचीन होली के साथ शहर में करीब 150 प्रमुख स्थानों पर होलिका दहन किया।
उज्जैन में हर पर्व की शुरुआत महाकालेश्वर के आंगन से
मंदिरों की नगरी उज्जैन में हर पर्व की शुरूआत राजाधिराज महाकालेश्वर के आंगन से होती है। 9 मार्च को संध्या आरती में सबसे पहले महाकाल के आंगन में होली जली। शयन आरती में बाबा भक्तों के साथ होली खेलेंगे। मंगलवार 10 मार्च को बाबा के भस्मी रमाने के बाद फिर से रंग-गुलाल उड़ेगा।
महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली दहन की परंपरा है। महाकाल मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरू के अनुसार भगवान महाकाल मृत्युलोक के राजा और उज्जयिनी के अधिपति हैं, इसलिए प्राचीन समय से भक्त सबसे पहले राजाधिराज के दरबार में आकर पर्व मनाते हैं। इसके बाद शहर व देश में पर्व मनता है। होली के दिन पुजारी पुरोहित भगवान महाकाल को हर्बल गुलाल लगाएंगे। शकर की माला अर्पित करेंगे। नंदीहॉल, परिसर में भक्त भी हर्बल रंग- गुलाल और फूलों से होली खेलेंगे।
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