Krishna Janmashtami 2022: देश-प्रदेश में जन्माष्टमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। बता दें, जैसे ही रात को 12 बजे मंदिरों में 'नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की' नारे गूंज उठे। देर रात तक भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। इस दौरान विशेष पाठ-पूजा की गई।
सीएम शिवराज ने सीएम हाउस में मनाई जन्माष्टमी:
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह चौहान के साथ निवास पर आयोजित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना कर शुभारंभ किया। सीएम शिवराज ने ट्वीट कर कहा- ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने॥ प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥ अब सबको श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान श्री कृष्ण कन्हैया से प्रार्थना है कि आप सभी की जिंदगी में सुख, समृद्धि, रिद्धि-सिद्धि आए। आप सब सुखी रहें, निरोगी रहें।
कलाकारों ने भगवान श्री कृष्ण की स्तुति में मनमोहक प्रस्तुतियां दीं:
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के पावन अवसर पर सीएम ने परिवार के सदस्यों एवं गणमान्य आगंतुकों के साथ दही हांडी फोड़ प्रदेशवासियों को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं। वहीं मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव में कलाकारों ने भगवान श्री कृष्ण की स्तुति में मनमोहक प्रस्तुतियां दीं।
'श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव' में गणमान्य साथियों के साथ सपरिवार निवास पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। प्रभु से समस्त भक्तों पर कृपा दृष्टि बनाये रखने और हर घर में सुख, समृद्धि, धन-धान्य से भरे रहने की कामना की।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
इस अवसर पर सीएम शिवराज ने कहा कि, भगवान श्री कृष्ण हर परिस्थिति में सदैव प्रसन्न, आनंदित और अविचलित रहते थे। हम अपना काम मेहनत व ईमानदारी से करें। थोड़ा ध्यान अपने कर्मों पर लगाएं,जिससे हम बेहतर से बेहतर कार्य कर सकें। हमारा जीवन सफल भी होगा और प्रदेश को आगे बढ़ाने में भी हम अपना योगदान दे सकेंगे। सीएम ने कहा भगवान श्रीकृष्ण का संदेश है कि बिना रुके हमें निरंतर काम करते रहना चाहिए। श्रीमद्भागवत गीता में कहा गया है कि निष्काम भाव से कर्म करते रहो। कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन यानि कर्म किये जाओ फल की चिंता मत करो। जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा।
आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि, भगवान श्री कृष्ण हर परिस्थिति में सदैव प्रसन्न, आनंदित और अविचलित रहते थे। हम अपना काम मेहनत व ईमानदारी से करें।थोड़ा ध्यान अपने कर्मों पर लगाएं,जिससे हम बेहतर से बेहतर कार्य कर सकें।हमारा जीवन सफल भी होगा और प्रदेश को आगे बढ़ाने में भी हम अपना योगदान दे सकेंगे भगवान श्रीकृष्ण जी ने दूसरों को देने की शिक्षा दी है। कंस को मारा, लेकिन मथुरा का राज नहीं लिया। महाभारत में अधर्म पर धर्म की जीत के सूत्रधार बने, लेकिन स्वयं के लिए कुछ नहीं लिया। वह सदैव दूसरों को बनाते रहे, देते गए। भगवान का संदेश यही है कि अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जिएं।
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