भोपाल, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार प्रदेश को अब "आत्मनिर्भर प्रदेश" बनाने के लिए मैदान में उतर गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने आत्मनिर्भर प्रदेश के सपने को साकार करने के लिए प्रत्येक विभाग को महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर प्रदेश को लेकर अपनी टीम से कहा कि एक साल में प्रदेश की तस्वीर बदल देना है। हम सब ऐसे कार्य करें कि आने वाले एक वर्ष में हम बहुत सी उपलब्धियां अर्जित कर लें और सभी राज्य मध्यप्रदेश को बधाई दें। इसकी की परिकल्पना को साकार करने के लिए हमें सुदृढ़ अर्थव्यवस्था व रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है। सुशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में भी संकल्पित व लक्षित प्रयास करना होगा। हमारा लक्ष्य पूर्णत: स्पष्ट है। मैं और मेरी पूरी टीम लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रही है।
प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर प्रदेश बनाने हेतु ज़िलों में 'एक ज़िला एक उत्पाद' कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इसके तहत ज़िलों की जो ख़ूबी है उसको बढ़ावा दिया जाएगा जिससे उस ज़िले के युवाओं को रोज़गार के अवसर मिल सकें और उस उत्पाद की ब्रांडिंग पूरे देश में हो इसकी भी व्यवस्था की जाएगी।
मंत्री सारंग ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा विभाग में हमारे जो भी चिकित्सा शिक्षा के छात्र है उनके लिए हम एक बीमा योजना लेकर आ रहे हैं। विभाग से संबंधित अस्पताल के सुचारू क्रियान्वयन के लिए हम मरीज मित्र योजना लेकर आएंगे।
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि कोरोना काल में आमजन के बीच खड़े होकर संकट को अवसर में बदलने का जो प्रयास किया था। उससे शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आया है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने की दिशा में शासन निरंतर प्रयास कर रहा है। जिसके फलस्वरूप आने वाले दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फीस नियामक अधिनियम के नियमों को लागू कर दिया गया है। अब अशासकीय शिक्षण संस्थान अपनी मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। सभी अशासकीय विद्यालय कक्षा पहली से 9 वीं और 11 वीं की परीक्षाओं के संचालन के लिए अपने स्तर से मूल्यांकन पद्धति का निर्धारण कर सकेंगे।
शिवराज सरकार में नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि विभाग ने आने वाले समय के लिए 33 बिंदु तय किये हैं। नगरीय संस्थाओं में सुशासन लाने की दृष्टि से कई सेवाओं को ऑनलाइन किया गया है। पेयजल, सीवरेज और कचरा प्रबंधन के लिए कार्ययोजना तैयार की है। शहरों में बनी अवैध कॉलोनियों को नियमित किया जा रहा है, ताकि लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिल सकें। स्वच्छता को लेकर पूरे वर्ष भर विशेष अभियान चलाया जा रहा है जिसमे निकायों की रैंकिंग भी तय की जा रही है।
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