श्योपुर, मध्यप्रदेश। शहर में बाढ़ से हुई तबाही के बाद प्रशासन ने युद्धस्तर पर पुर्नवास के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस क्रम में प्रदेश के कई नगर निगमों से संसाधन और सफाई कर्मचारियों को बुलाकर सफाई कराई जा रही है। बाढ़ अपने पीछे इतनी गंदगी छोड़ गई है कि, उसे जेसीबी के माध्यम से हटाना पड़ रहा है। जो कचरा एक माह में भी टंचिंग ग्राउंड पहुंच पाता था, उससे भी अधिक कचरा एक दिन में पहुंच रहा है। इस कचरे में मृत मवेशी भी फेंके जा रहे हैं। इससे टंचिंग ग्राउंड से घिरे मठेपुरा गांव में बीमारी फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
बाढ़ में मृत मवेशियों से महामारी न फैल जाए इस उद्देश्य से प्रशासन ने मृत मवेशियों को जंगल में ले जाकर दफनाने की योजना बनाई थी। इसके उलट नगरपालिका कर्मचारियों द्वारा मृत मवेशियों को जंगल में ले जाने और गाड़ने के बजाए टंचिंग ग्राउंड में फेंका जा रहा है। अब इन मवेशियों के शव सड़ांध फैलाने लगे हैं। ग्रामीणों को डर है कि मवेशियों की सड़ांध की वजह से गांव में महामारी न फैल जाए।
उधर कचरे को भी टंचिंग ग्राउंड में प्रावधानों के अनुसार गीला-सूखा अलग-अलग कर नष्ट करने, गाड़ने के बजाए खुले में फेंका जा रहा है। इससे भी बीमारियां फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है। सरपंच रामनारायण आदिवासी, पूर्व सरपंच बद्रीलाल मीणा ने कलेक्टर शिवम वर्मा से गांव के बीच बने टंचिंग ग्राउंड से मृत मवेशियों के शव उठवाकर पूर्व से तय किए गए स्थान पर गड़वाने एवं टंचिंग ग्राउंड में कचरे का निस्तारण प्रावधानों अनुसार करने की मांग की है।
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