हाइलाइट्सः
रडार में बिना फैसिंग वाली पत्थर खदान
एनजीटी के आदेश के पालन करने के दिए निर्देश
संभाग में संचालित हैं 300 अधिक खदानें
100 से अधिक खदानों के नोटिस जारी हो चुके हैं।
राज एक्सप्रेस। पर्यावरण के मुद्दे पर सुनवाई करनी वाली राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की भोपाल स्थित बेंच ने प्रकरण क्रमांक 08/2016 में माना था कि प्रदेश भर में संचालित हो रही पत्थरों की खदानों में फैंसिंग न होने से हादसे हो रहे हैं, प्रदेश के मुख्य सचिव और सभी कलेक्टरों को इसके पालन करने के निर्देश दिये गये थे।
प्रदूषण बोर्ड और खनिज विभाग से मांगा था प्रतिवेदनः
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित खनिज विभाग से भी इस संबंध में प्रतिवेदन मांगा गया था, तीन सालों तक यह सब पत्राचार में चलता रहा, लेकिन खदान संचालकों ने कोरम पूर्ति करने के लिए फैसिंग तो करा ली, लेकिन वह क्षतिग्रस्त हो गई। अधिकांशों ने तो कागजों में ही एनजीटी के आदेश को रौंद दिया। हाल ही में सरकार बदलने के बाद इस मामले में संज्ञान लेते हुए बोर्ड मुख्यालय ने सभी क्षेत्रीय कार्यालय को एनजीटी के आदेश के पालन करने के निर्देश जारी किये। पीसीबी ने 100 से अधिक खदान संचालकों को नोटिस जारी करते हुए पारित आदेश के पालन करने के निर्देश दिये हैं, साथ ही खनिज विभाग को भी कार्यवाही के प्रति भेजी है।
फैंसिंग कराने के दिए निर्देशः
पीसीबी के दायरे में आने वाले अनूपपुर, उमरिया, शहडोल और डिण्डोरी जिलों की 100 से अधिक खदान संचालकों को बोर्ड के द्वारा नोटिस जारी करते हुए खदान के चारों ओर फैंसिंग कराने की निर्देश दिये गये हैं, आदेश में यह भी उल्लेखित किया गया है कि यदि फैंसिंग क्षतिग्रस्त या खराब हो गई है तो उसे दुरूस्त करवायें, साथ ही बोर्ड के जल (प्रदूषण नियंत्रण तथा निवारण) अधिनियम 1974 की धारा 25/26 तथा वायु (प्रदूषण नियंत्रण तथा निवारण) अधिनियम 1981 की धारा 21 के तहत जारी की गई स्थापना और संचालन की सम्मति का पालन किया जाये।
पीसीबी को प्रेषित करनी होगी रिपोर्टः
अगर खदानों में फैंसिंग क्षतिग्रस्त हो गई होगी तो उसे खदान संचालकों के द्वारा पुन: निर्माण कराना होगा, एनजीटी के आदेशों के तहत स्थाई रूप से फैंसिंग की व्यवस्था संचालकों को करनी होगी और इसकी पूरी रिपोर्ट पीसीबी को प्रेषित करनी होगी। लंबा अंतराल बीत जाने के बावजूद पारित निर्णय का पालन नहीं हो सका है, देखना यह होगा कि इस बार पीसीबी की सख्ती पत्थर खदान संचालकों पर कितना काम करती है।
आदेश की अवहेलना पर होगी कार्यवाहीः
खनिज विभाग और पीसीबी से शहडोल जिले में 140 खदानें स्वीकृत हैं, वहीं उमरिया में 30 के आस-पास, अनूपपुर में 143 और डिण्डौरी जिले में 26 के लगभग पत्थर खदानें संचालित हो रही हैं। शुरूआत में 100 से अधिक नोटिस जारी किये गये हैं, आने वाले दिनों में सभी खदानों को बोर्ड के द्वारा नोटिस जारी किया जायेगा, अगर विभाग के जिला प्रभारियों के निरीक्षण के दौरान फैंसिंग खदानों के दायरे में नहीं पाई गई तो एनजीटी के द्वारा जारी आदेशों की अवहेलना की कार्यवाही भी बोर्ड के द्वारा प्रस्तावित की जायेगी।
असमय काल के गाल में समा चुके लोगः
फैंसिंग न होने और सुरक्षा के पर्याप्त उपाय पत्थर खदानों में न होने के चलते कई मजदूर, ग्रामीण और मवेशी खाई बन चुकी खदान में अपनी जाने गवां चुके हैं। 2016 में उक्त प्रकरण की सुनवाई के दौरान एनजीटी ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव से हलफनामा भी मांगा था, साथ ही सभी जिलों के कलेक्टरों को आदेश के पालन के लिए निर्देशित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
6 मीटर से अधिक हुई खुदाईः
पत्थर की खदानों को अगर देखा जाये तो माईनिंग प्लान, पर्यावरण स्वीकृति, जल एवं वायु सम्मति के अनुसार कोई भी खदानें संचालित नहीं हो रही है, बल्कि खनन कार्य योजना के तहत 6 मीटर से अधिक की खुदाई, खदानों से पत्थर निकालने के लिए नहीं की जा सकती, लेकिन लगभग सभी खदानों में इस गहराई से कहीं अधिक खनन किया गया है, जो कि पर्यावरण संरक्षण की धाराओं का उल्लंघन है ,कुछ खदान संचालकों ने तो स्वीकृत खदान से पत्थर ही नहीं निकाले। दूसरे स्थानों से पत्थर लेकर अपना व्यवसाय संचालित किया जा रहा है, लेकिन खनिज, राजस्व और पीसीबी ने इस ओर कभी कोई ध्यान नहीं दिया।
इनका कहना हैः
खदान संचालकों के साथ ही खनिज विभाग को भी प्रति भेजी गई है, अगर एनजीटी के आदेश का पालन खदान संचालक के द्वारा नहीं किया जायेगा तो न्यायालय के आदेश की अवहेलना की कार्यवाही प्रस्तावित की जायेगी, 100 से अधिक नोटिस जारी हो चुके हैं, बाकी बचे नोटिस भी जल्द ही जारी कर दिये जायेंगे।
संजीव कुमार मेहरा
(क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल)
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