शहडोल, मध्यप्रदेश। जिले के जनपद पंचायत बुढार के अंतर्गत ग्राम पंचायत जमुनिया में 1 वर्ष पहले पंच परमेश्वर मद से बनाए गए रोड की धज्जियां उड़ गई है। ग्राम पंचायत सचिव एवं सरपंच के द्वारा 1 वर्ष पूर्व ही मदन के घर से लेकर मोबीन के घर तक सीसी रोड का निर्माण किया गया था। उक्त निर्माणाधीन रोड पर बाजार होने के साथ-साथ सबसे ज्यादा चलने वाली मार्ग भी यही थी। इसके बावजूद भी सरपंच सचिव ने रोड की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ तो किया ही, इसके साथ यहां के इंजीनियर ने भी निरीक्षण किये बगैर कमीशन के फेर में मूल्यांकन कर दिया।
ग्रामीण हो रहे परेशान :
मुख्य मार्ग होने के साथ-साथ उक्त रोड पर नाली की आवश्यकता थी, जिसे ध्यान में न रखते हुए तकनीकी स्वीकृति प्रदान कर दी गई, जिसके कारण पानी निकासी की कोई जगह न होने के कारण रोड जगह-जगह से उखड़ गई है और 1 वर्ष पहले बने इस रोड को मरम्मत की आवश्यकता पड़ने लगी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सचिव और इंजीनियर ने गुणवत्ता का कितना ख्याल रखा होगा, बहरहाल इस रोड पर तमाम प्रकार की परेशानी के अलावा इस रोड से स्कूली बच्चों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन रोड में गड्ढे हो जाने के कारण बरसात में राहगीर गड्ढों में गिरकर हादसे का शिकार की हो चुके हैं।
कार्यवाही की नहीं उठाई जहमत :
ग्रामीण क्षेत्र के सभी पंचायती रोड में बिना नाली के एस्टीमेट नहीं बनाया जाता है, लेकिन इंजीनियर द्वारा लापरवाही करते गुणवत्ता की अनदेखी करने के बावजूद उक्त सड़क का मूल्याकंन कर दिया गया, तकनीकी स्वीकृति प्रदान करते समय नाली निर्माण पर भारी लापरवाही की गई है, जिसका खामियाजा राहगीरों को चुकाना पड़ रहा है, मजे की बात तो यह है कि 1 साल पूर्व में बनी इस सड़क पर दर्जनों गड्ढे होने के बाद भी जिम्मेदारों ने आज तक कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठा पा रहे हैं।
तकनीकी स्वीकृति और मूल्यांकन में खेल :
1 वर्ष पूर्व बनी उक्त सड़क में शासन की राशि की जमकर होली खेली गई है, पंचायत में भ्रष्टाचार को जन्म देने में सचिव और इंजीनियर का अहम रोल रहा है, क्योंकि तकनीकी स्वीकृति देते समय स्टीमेट में तमाम प्रकार की शर्तो का हवाला दिया रहता है, जिन्हें पूरा करके ही उक्त सड़क बनाई जाती है, सड़क की मोटाई कम से कम 8 इंच होनी चाहिए, लेकिन जिम्मेदारों ने इसमें खुला-खेल खेला गया है, मोटाई के लेबल को जमीन से मिला दिया गया है, एक तरह से जिस रोड पर 4 इंच की पहले 40 एमएम गिट्टी से बेस तैयार होना चाहिए और 4 इंच की 20 एमएम से ढलाई होकर 8 इंच होनी चाहिए, लेकिन यहां पर सिर्फ सड़क बनाने के नाम पर खानापूर्ति की गई है। जिस वजह से 1 वर्ष के ही अंदर सड़क ने दमतोड़ दिया।
सचिव भूले अपनी जिम्मेदारी :
ग्राम पंचायत जमुनिया में जितने भी निर्माण कार्य हो रहे हैं उन सभी पर सरपंच-सचिव निर्माण कार्य समिति के मुख्य माने जाते हैं। जिनके कंधे पर गुणवत्ता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है, लेकिन इन सबके बावजूद भी जिस तरह से ग्राम पंचायत के द्वारा बनाई गई सड़क 1 वर्ष में ही उखड़ गई, उस पर ग्रामीणों का कहना है कि महिला सरपंच होने के नाते निर्माण के समस्त कार्य ग्राम पंचायत के सचिव भुलेश्वर यादव के मार्गदर्शन में मनमानी तरीके से कार्य कराते पूरा कराया गया, सचिव ने शासन द्वारा भेजी गई राशि में खुलकर बंदरबांट करते सड़क की गुणवत्ता के साथ खेल कर दिया।
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्यवाही :
ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत जमुनिहा में जिस प्रकार से सचिव के द्वारा निर्माण कार्यों पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है और इस निर्माण कार्यों को उपयोगिता प्रमाण पत्र देने का काम क्षेत्र के इंजीनियर द्वारा बखूबी रूप से कमीशन लेते हुए आंख बंद कर मूल्यांकन कर घटिया निर्माण कार्यों को भी सही बताया है। ग्रामीणों का आरोप है कि कमीशन लेकर घर बैठे मूल्यांकन करने से सड़क चौपट हो चुकी है, लेकिन जनपद में बैठे जिम्मेदारों ने सीएम हेल्पलाईन को दरकिनार करते हुए भ्रष्टाचारियों को खुला संरक्षण दिया हुआ है।
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