शहडोल अभी महानगरों की श्रेणी में भले ही शुमार न हो, लेकिन चिकित्सा के क्षेत्र में महानगरों से भी बड़ी शिकायतें यहां सामने आ रही है, कोरोना काल में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से मेडिकल कालेज में एक दिन में ही दर्जनों मौत हो चुकी हैं। अभी हाल ही में एक निजी चिकित्सालय में एक महिला को मौत के बाद 11 घंटे तक वेंटिलेटर में रखकर बिल वसूला जा रहा था, जिसके बाद अस्पताल को सील किया गया। इन हालातों में फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर कई सवाल खड़े होना स्वाभाविक है।
शहडोल, मध्यप्रदेश। भोपाल और उज्जैन के अस्पतालों में हुई आगजनी ने फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। भविष्य में ऐसी स्थिति से जानमाल का नुकसान ना हो, इसे लेकर ही फायर टी सिस्टम को लेकर एक्ट प्रदेश भर में लागू कराया गया है, इसी तारतम्य मे शहडोल कलेक्टर ने जिले में संचालित शासकीय व निजी अस्पतालों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। लेकिन जिला प्रशासन के निर्देश के बाद भी जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और निजी अस्पताल संचालक अब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया है।
सुरक्षा को लेकर सवाल :
कोरोना की दूसरी लहर ने अस्पतालों में व्यवस्थाओं की नाकाफी की वजह से कई सवाल खड़े किए हैं। अब तीसरी लहर आने की भी आशंका है, ऐसे में पूर्व में अस्पतालों की सुरक्षा के लिए जारी किए गए निर्देशों का पालन नहीं किए गए हैं। जिसके चलते मरीजों एवं उनके परिजनों की सुरक्षा को लेकर आशंका बनी हुई है।
बीते मई महीने में जब कोरोना पीक पर चल रहा था, उस दौरान नगरीय प्रशासन विभाग ने जिले के सभी अस्पतालों में फायर सेफ्टी के प्रावधान कराने का निर्देश दिया था। लेकिन करीब चार महीने का समय पूरा होने जा रहा है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सूचना देने तक सीमित कार्रवाई :
जिले के अधिकारियों ने शहर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को सूचना देने तक अपनी कार्रवाई सीमित कर रखी है। लगातार हो रही लापरवाही पर अब मानव अधिकार आयोग ने नगरीय प्रशासन विभाग से जानकारी मांगी है। जिसमें पूछा है कि नगर निगमों की ओर से अब तक फायर सेफ्टी को लेकर क्या कार्रवाई हुई है उसकी जानकारी प्रस्तुत करें। शहडोल में सरकारी हों या प्राइवेट हर जगह अस्पतालों में फायर सेफ्टी की अनदेखी की जा रही है। जिसकी वजह से आने वाले दिनों में जब मरीजों का दबाव अधिक हो सकता है, उस समय मरीजों एवं उनके परिजनों की सुरक्षा सवालों के घेरे में रहेगी।
एनओसी के लिए नहीं हो रही पहल :
शहर में सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में अभी कुछ के पास ही फायर एनओसी होने की जानकारी है। शासन के निर्देश के अनुसार सभी अस्पतालों को पहले फायर सेफ्टी के इंतजाम करने के बाद नगरीय प्रशासन से एनओसी लेनी होगी। इसके बाद इन अस्पतालों को भी फायर आडिट कराना होगा ताकि यह स्पष्ट हो सके कि मापदंडों के अनुरूप व्यवस्थाएं हैं अथवा नहीं।
इन शर्तों को करना होगा पूरा :
शहर में संचालित अस्पतालों में फायर आडिट कराने का निर्देश शासन द्वारा जारी किया गया है, जिसमें नेशनल बिल्डिंग कोड के मुताबिक व्यवस्थाएं हैं अथवा नहीं इसका परीक्षण करना है। प्रमुख रूप से आगजनी की स्थिति में मरीजों को बाहर निकालने के लिए अलग से व्यवस्था है या नहीं, फायर फाइटिंग सिस्टम भवन की क्षमता के अनुरूप है अथवा उससे कम है, अस्पताल में फायर के एक्सपर्ट कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं कि नहीं, आइसीयू में एयर लो एक्सचेंज करने की क्या व्यवस्थाएं हैं, जिससे हवा बदलती रहे आदि को प्रमुख रूप से देखा जाएगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि रेस्क्यू के लिए यदि टीम आती है तो वह सहजता से पहुंच पाएगी अथवा नहीं।
इनका कहना है :
मैं अभी मिटिंग में हूँ, बाद में बात करता हूँ।डॉ. एम.एस.सागर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, शहडोल
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