सीएम ने की खनिज विभाग की समीक्षा Syed Dabeer Hussain - RE
मध्य प्रदेश

खनिज से मिलेगा सात हजार करोड़ राजस्व : शिवराज सिंह

भोपाल, मध्यप्रदेश : वर्ष 2017-18 में 4284 करोड़ के मुकाबले वर्ष 2020-21 में आय 5185 करोड़ रुपए हुई। वर्तमान वित्त वर्ष में इसके 7 हजार करोड़ तक पहुंचने की आशा है।

राज एक्सप्रेस

भोपाल, मध्यप्रदेश। आत्म-निर्भर मप्र के रोड मैप और दीर्घकालिक लक्ष्यों के आधार पर वित्त वर्ष में विभाग के विजन और उसके क्रियान्वयन के चलते खनिज राजस्व प्राप्ति में वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में 4284 करोड़ के मुकाबले वर्ष 2020-21 में आय 5185 करोड़ रुपए हुई। वर्तमान वित्त वर्ष में इसके 7 हजार करोड़ तक पहुंचने की आशा है। वर्तमान में स्वीकृत रेत ठेके समर्पित, निरस्त किए जाने से जिला स्तर से पुन: आवंटन की कार्यवाही प्रचलन में है।

यह जानकारी मंत्रालय में खनिज साधन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दी गई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि खनिज संपदा, रोजगार और राजस्व प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है। खनिज संपदाओं का वैज्ञानिक दोहन कर रोजगार प्रदान करने के लक्ष्य के लिए तेजी से कार्य किया जाए। पारदर्शी, सुनियोजित और व्यवस्थित रूप से कार्यों की पूर्णता हो। राजस्व प्राप्ति के प्रयासों में कमी न रहे। जिलों में खनिजों की उपलब्धता के सर्वे का कार्य शीघ्र पूर्ण करवाने के लिए भारत सरकार से आवश्यक समन्वय किया जाए। चौहान ने खनिज साधन विभाग में रिक्त पदों की पूर्ति की प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश भी दिए।

बैठक में जानकारी दी गई कि खदानों को प्रदेश में मुख्य खनिजों के 32 खनिज ब्लॉक की ई-नीलामी प्रक्रिया चल रही है। प्रदेश में मुख्य खनिजों से वार्षिक 735 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति और 14 कोल ब्लॉक के आवंटन से सालाना 1360 करोड़ रूपये की राजस्व प्राप्ति होगी। इसी तरह समस्त गौण खनिजों पर ग्रामीण अवसंरचना और सड़क विकास अधिनियम 2005 के तहत कर अधिरोपित होने से 100 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्ति संभावित है। गौण खनिजों की ई- एप्लीकेशन के आधार पर नवीन आवंटन प्रक्रिया से मंजूरी दी जा रही है। इससे वर्तमान वित्तीय वर्ष में 15 करोड़ रुपए की राजस्व वृद्धि होगी। गौण खनिज नियम में संशोधन के बाद एम-सेण्ड के प्रावधान लागू होने से प्राकृतिक रेत पर निर्भरता में कमी आएगी। प्रदेश में 5 जिलों में एम-सेंड की छह खदान स्वीकृत की गई हैं।

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